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मंगलवार, 17 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !! SHLOK, MANTR !!

आनंद मानंद करं प्रसन्नम 
ज्ञान स्वरूपम निज बोध युक्तम 
योगिंद्र मिअयम भक्तेन वैद्य 
श्रीमद गुरु नित्यं महम नमामि 

यास्मीन सृष्टि स्थिति ध्वंस 
निग्रहानुग्रात्मकम 
कृत्य पञ्च विधः शश्व 
भासते तं  नामाम्यहम 
प्रातः शिरसि शुक्लाब्जे 
द्विनेत्र द्विभुज गुरुम 
वराभय युतं शांतं 
स्मरेण  नाम पूर्वकम 

न गुरोराधिकम न गुरोराधिकम न गुरोराधिकम न गुरोराधिकम 
शिवशासनतः शिवशासनतः शिवशासनतः शिवशासनतः 

इदमेव शिवम त्विदमेवशिवं 
 त्विदमेवशिवं  त्विदमेवशिवं 
मम शासनतो मम शासनतो 
मम शासनतो मम शासनतो 

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