मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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गुरुवार, 19 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !! Ram-Janm !

भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्याहितकारी 
हरषित महतारी मुनिमन हारी अद्भुत रूप बिचारी 
लोचन अभिरामा ,तनु घनश्यामा निज आयुध भुज--
भूषण वनमाला नयन विसाला सोभा सिंधु खरारी 
कह दुई करजोरी अस्तुति तोरी केहि विधि करौ अनंता 
माया गुण  ज्ञानातीत अमाना वेद पुराण भनंता 
करुणा सुखसागर सब गुण आगर जेहि गावहि श्रुति संता 
सो मम हिट लागी जान अनुरागी भयउँ प्रकट  कन्ता 
ब्रम्हांड निकाया निर्मित माया रोम रोम प्रति वेद कहे 
मम उर सो वासी यह उपहासी सुनत धीर मति थिर न रहे
 उपजा  जब ज्ञाना ,प्रभु मुस्काना चरित बहुविधि कीन्ह चहै 
कहि कथा सुहाई मातु बुझाई जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै 
माता पुनि बोली सो मति डोली तजहुँ तात  यह रूपा 
कीजै सिसुलीला अति प्रिय सीला यह सुख परम अनूपा 
सुनि वचन सुजाना रादे न ठाना होइ बालक सुर भूपा 
यह चरित जे गावहि हरि पद पावहि तेन पराई भवकूपा !

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