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शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !!-Durga Aarti { Marathi Language}

दुर्गे दुर्घट भारी तुझ्वींण संसारी 
अनाथ नाथे आंबे करुणा विस्तारी 
वारी वारी जन्म मरणाँ तेवारी 
हारी पडलो आता संकट निवारी 
जय देवी जय देवी जय महिषासुर मथनी 
सुरवर ईश्वर वर दे तारक संजीवनी ----
त्रिभुवनी भुवनी पाहता तुझ ऐसी नाही 
चारि श्रमलों परंतु न बोलवे काही 
साही विवाद करिता पडले प्रवाही 
ते तू भक्ता लागी ,ते तू दास लागी पावसि लवलाही 
जय देवी -------------------------------
प्रसन्न वदने प्रसन्न होसि निज दासा 
क्लेशा पासुनी सोड़ी दुःखा पासुनी तोड़ी भवपाशा 
आंबे तुझ वाचून कोण पर्विल आशा 
नरहरि तल्लीन झाला पद पंकज लेशा 
जय देवी -------

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