मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

बुधवार, 25 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !! Ramcharitmanas Mukhya Ansh --3 { Durga Shtashtak}

अजातपक्षा इव मातरम खगा
 स्तन्तयम यथा वृक्षतरा सुधार्था 
प्रिय प्रियेव विशुण विषु णा 
मनोरविन्दाक्ष दी दरख्ते त्वाम 

मुकुंद मूर्द्धया प्रणिपत्य याचे 
भवंत मेकान्त मीयन्त मारथं 
अविस्मृति तव चरणार्विन्दे 
भवे भवे मेत्सु भवत प्रसादः 

आपत्सुमग्नम स्मरणं त्वदीयं 
करोमि दुर्गे करूणा र्वेशी नौ तत्छठ तव्म मम भाव येथाः 
क्षुधा तृपा रता जननी स्मरन्ति 
जगदम्ब विचित्र मत्व कि परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयां 
अपराध परंपरा वृंत नहि माता समुपेक्षते सुतं
 मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा नहि 
एव ज्ञात्वा महादेवी यथायोग्य तथा कुरु 

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीय ब्रम्हचारिणीम 
तृतीय चंद्र घंटेति कुष्मांडेति चतुर्थकं 
पञ्चमं स्कंध मातेति षष्ठ कात्यायनी तिच 
सप्तम कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमं 
नवम सिद्धदात्रीच नवदुर्गा परिकितिताः 
उक्तान्ये तानि नामानि ब्रम्हणैव महात्मनः 
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके 
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते 
सृष्टि स्थिति विनाशनम शक्ति भूते सनातनी
 गुणाश्रये गुनमधे देवी नारायणी नमोस्तुते 
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे 
सर्व स्याती  हरे देवी नारायणी नमोस्तुते 
सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते 
भयेभ्यस्ताहि नो देवी दुर्गे देवी नमोस्तुते 
रोगानशेषाप हंति तुष्टा रुष्टा तुकामान सकलभिष्टान 
त्वामाम श्रीतानां न विपन्नराणाम त्वामाश्रिता ह्राश्रयम तां प्रयान्ति 
सर्व प्रश्मनम त्रोलोकस्य खिलेश्वरी 
एकमेव त्वया कार्य मस्म द्वैरी विनाशनम 
विश्वेश्वरी त्वम परिपासि विश्वम 
विश्वा न्तिकाम धारायसि ती  विश्वम 
विश्वेश वंद्या भवति भवन्ति 
विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनमः 
इंद्रिया नाम अधिष्ठात्री भूतानां चा खिलेयुषा 
भूतेषु सतत तस्ये व्याप्ति दैव्ये नमो नमः 
चित्तिरूपेण या कृत्स्न मेततम व्याप्त स्थितामजगत 
नमस्तस्येनमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः 
सर्व रूप मयि देवी सर्व देवी मय जगत 
अतो अहम विश्व रूपाताम नमामि परमेश्वरी 
देवी प्रपन्नार्ति हरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगत खिलस्य 
प्रसीद विश्वेश्वरी पाहि विश्व त्वमीश्वरी देवी चराचरम 
या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता
 नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः 
{२ } शक्ति {३ }क्षान्ति }{४  }शांति {५ }कांति {६ }भ्रान्ति {७ }बुद्धि {८}स्मृति {९}वृत्ति 
{१०}लक्ष्मी {११}दया {१२}छाया {१३}श्रद्धा {१४}लज्जा {१५}तृष्णा {१६}तुष्टी {१७}क्षुधा {१८}निद्रा 

ईश्वर उवाच ----------
शतनाम प्रवक्ष्यामि श्रणु णव कमालनने 
यस्य प्रसाद मा नेत्र दुर्गा प्रीता भवेत् सती 
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचनी 
आर्या दुर्गा जया चाद्या त्रिनेत्रा  शूल धारिणीम 
पिनाक धारिणी चित्रा चंद्रघंटा महातपा 
मनो बुद्धिरहंकारा चित्तरूपा चिता चितिः 
सर्वमंत्र मयी सता सत्यानन्दस्वरूपिणी 
अनंता भाविनी भाव्या भव्या भव्या सदागतिः 
शाम्भवी देवमाताच चिंता रत्नप्रिया सदा 
सर्व विद्या दक्ष कन्या दक्ष यज्ञ विनाशिनी 
अपर्णा नेकवर्णा च पाटला पाटलावति 
पट्टाम्बर परिधाना कलमज्जीर राज्जिनी 
अमेय विक्रमा क्रूरा सुंदरी सुरसुन्दरी 
वनदुर्गाच मातङ्गो मतङ्ग मुनि पूजितां 
ब्राम्ही माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी 
चामुंडा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृति 
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्य च बुद्धिदा 
बहुला बहुल प्रेमा सर्व वाहन वाहना 
निशुम्भ शुम्भ हननी महिषासुर मर्दिनी 
मधुकैटभ हंत्री च चण्डमुण्ड विनाशिनी 
सर्वासुर विनाशाच सर्व दानव घातिनी 
सर्व श्रा स्त्र मयी सत्या सर्वस्त्र धारिणी तथा 
अनेक शस्त्र हस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी 
कुमारी चैव कन्या च कैशोरी युवती यतिः 
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्ध माता बलप्रदा 
महोदरी मुक्त केशी घोररूपा महा बला 
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रिस्तपस्विनी 
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी 
शिवदूती करालीच अनंत परमेश्वरी 
कात्यायनीच सावित्री प्रत्यक्षा ब्रम्हवादिनी 
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गा नाम शताष्टकम 
ना साध्यम विद्यते देवी त्रिपुलोकेषु पार्वती !!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller (174)Apradh !!

Nirmal came downstairs and hired a rickshaw for Dadri . He was assure that Mother will soon reach to the shop so he needs not to worry. He w...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!