"जुंडली "
लंगड़ा लूला ,अँधा कोढ़ी
सब मिल करते जोड़ा जोड़ी,
मुंह के बल गिर,चारों खाने चित्त हुए है
या पसली हड्डी पूरी तोड़ी
बजा रहे थे कल तक पुंगी
इसकी उसकी हर बयान की खींची टांग,
बांह ज़ुबान भी तोड़ मरोड़ी,
वो सारे ही भ्रष्टाचारी,चोर छुहार,
बेईमानों की टोली
निस्वार्थ सेवाभावी से,कैसे दो दो हाथ करेंगे
जनता के हर वर्ग ,हर सम्प्रदाय के
महाकाय, लोकप्रिय ,बाहुबली से,
क्या अक्ल नहीं है इनको थोड़ी
ऐसा लग रहा है मानो,
किस्मत पे अपनी चला रहे है सभी हथौड़ी
या सोच रहे सब कैसे इक दूजे की किस्मत कैसे जाए फोड़ी !!
लंगड़ा लूला ,अँधा कोढ़ी
सब मिल करते जोड़ा जोड़ी,
मुंह के बल गिर,चारों खाने चित्त हुए है
या पसली हड्डी पूरी तोड़ी
बजा रहे थे कल तक पुंगी
इसकी उसकी हर बयान की खींची टांग,
बांह ज़ुबान भी तोड़ मरोड़ी,
वो सारे ही भ्रष्टाचारी,चोर छुहार,
बेईमानों की टोली
निस्वार्थ सेवाभावी से,कैसे दो दो हाथ करेंगे
जनता के हर वर्ग ,हर सम्प्रदाय के
महाकाय, लोकप्रिय ,बाहुबली से,
क्या अक्ल नहीं है इनको थोड़ी
ऐसा लग रहा है मानो,
किस्मत पे अपनी चला रहे है सभी हथौड़ी
या सोच रहे सब कैसे इक दूजे की किस्मत कैसे जाए फोड़ी !!
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