प्रकृति और परमात्मा के प्रेमपूर्ण अनुबंध का नाम है नारी ----आइंस्टाइन
नारी संसार का सबसे खुशनुमा फूल तो है परन्तु यह फूल प्रायः ईर्ष्या संशय और धूर्तता के काँटों में घिरा रहता है जितनी यंत्रणा उसे अपनी भूलों से होती है उतनी ही दूसरों के दुखों से
नारी बादाम का मासूम फूल है खजूर का कच्चा फल है,चेरी की रंगत है गुलाबों का नशा है उसे जिसने समझा वही ठगा गया ----आर्किमिडिज़
ईश्वर शांति है तो नारी उस महान शांति की सीमारेखा ---भाभा
नारी सम्मोहन और सहनशीलता की प्रपौत्री है ----जगदीश चन्द्र बोस
पाप भ्रष्टाचार और नृशंसता का तिलिस्मी नश्तर ही नारी कहलाता है ---जॉन बेल
तबतक ही भय से डरना चाहिए जब तक वह पास नहीं आता परन्तु भय को अपने निकट आता देख कर प्रहार करके उसे नष्ट करना ही उचित है ---चाणक्य
मन जब फैलता है तो समुद्र और पर्वत भी छोटे हो जाते हैं और मनुष्य दुर्दमनीय हो जाता है किन्तु मन जब सिमटता है तब एक चींटी भी हाथी की भाँती दिखाई देने लगती है --अँधेरे के जुगनू से ---रांगेय राघव
वास्तव में विपत्ति आने पर ही जीवन में निखार आता है कठिनाई और संघर्ष में आगे बढ़ कर ही किसी वास्तु का मूल्यांकन हो सकता है बादल के छोटे छोटे टुकड़े कभी चाँद को घेर लेते हैं दूसरों की दृष्टि में उसको ओझल कर देना चाहते हैं लेकिन नहीं इन बातों से क्या होता है किसी भी वस्तु का गुण गौरव ,किसी की प्रतिभा छुपाने से छुप नहीं सकती ----"राही और मंज़िल" कुलानन्द भारतीय
नारी संसार का सबसे खुशनुमा फूल तो है परन्तु यह फूल प्रायः ईर्ष्या संशय और धूर्तता के काँटों में घिरा रहता है जितनी यंत्रणा उसे अपनी भूलों से होती है उतनी ही दूसरों के दुखों से
नारी बादाम का मासूम फूल है खजूर का कच्चा फल है,चेरी की रंगत है गुलाबों का नशा है उसे जिसने समझा वही ठगा गया ----आर्किमिडिज़
ईश्वर शांति है तो नारी उस महान शांति की सीमारेखा ---भाभा
नारी सम्मोहन और सहनशीलता की प्रपौत्री है ----जगदीश चन्द्र बोस
पाप भ्रष्टाचार और नृशंसता का तिलिस्मी नश्तर ही नारी कहलाता है ---जॉन बेल
तबतक ही भय से डरना चाहिए जब तक वह पास नहीं आता परन्तु भय को अपने निकट आता देख कर प्रहार करके उसे नष्ट करना ही उचित है ---चाणक्य
मन जब फैलता है तो समुद्र और पर्वत भी छोटे हो जाते हैं और मनुष्य दुर्दमनीय हो जाता है किन्तु मन जब सिमटता है तब एक चींटी भी हाथी की भाँती दिखाई देने लगती है --अँधेरे के जुगनू से ---रांगेय राघव
वास्तव में विपत्ति आने पर ही जीवन में निखार आता है कठिनाई और संघर्ष में आगे बढ़ कर ही किसी वास्तु का मूल्यांकन हो सकता है बादल के छोटे छोटे टुकड़े कभी चाँद को घेर लेते हैं दूसरों की दृष्टि में उसको ओझल कर देना चाहते हैं लेकिन नहीं इन बातों से क्या होता है किसी भी वस्तु का गुण गौरव ,किसी की प्रतिभा छुपाने से छुप नहीं सकती ----"राही और मंज़िल" कुलानन्द भारतीय
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