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शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

Sher Behatreen !! Nazm !! Gazal !! {24}

बजाहिर उजाले बबा तिन अँधेरे
बसूरत रफीकी ,,बसीरत लुटेरे
अगर बच सको तो निकल जाओ बच के
ये सियासत के बन्दे ,न तेरे न मेरे

बा अदब बा नसीब ,बे अदब बेनसीब
उनकी फितरत है कि मुझको भूल जाते हैं मगर
मेरी आदत है के उनको याद कर लेता हूँ मैं ---हाफिज जालंधरी
ठिकाना नहीं मेरा ज़माने में
न आशियाँ के बाहर ,न आशियाने में

चुप हो गया हूँ आपकी सूरत को देख कर
करनी थी मुझे आपसे कितनी शिकायतें ---अब्दुल हमीद "अ दम

देखना तक़रीर की लज़्ज़त कि उसने जो कहा
मैंने यह जाना कि गोया यह भी मेरे दिल में है ---ग़ालिब

रहती है कब बहारे जवानी तमाम उम्र
मानिंद बू ए गुल इधर आई उधर गई

न समझने की ये बातें हैं न समझाने की
जिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की ---अज्ञात

जिंदगी इंसा की है मानिन्दे मुर्गे खुशनवा
शाख पर बैठा कोई ,दम चहचहाया उड़ गया --डॉ मोहम्मद इक़बाल

जिंदगी क्या है अनासिर में ज़हूरे तरतीब
मौत क्या है इन्ही अजजा का परेशां होना
फ़ना का होश आना जिंदगी का दर्द सर जाना
अज़ल क्या है खमारे बादए हस्ती उत्तर जाना ---बृजनारायण चकबस्त

गुमराह नहीं कि साथ दीजै
दुःख बोझ नहीं कि बाँट लीजै---नसीम

इशरते कतरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुजरना है दवा हो जाना ---ग़ालिब

मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़सूस होते हैं
ये वो नगमा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता

गर्दिशे अरमान तेरा शुक्रिया
दुनिया हर पहलू से हमने देख ली !---ग़ालिब

अलफ़ाज़ के पेचों में
उलझता नहीं दाना
गब्बास को मतलब है
सदफ से कि गुहर से --इक़बाल

बेखुदी ले गई
कहाँ हम को
देर से इंतज़ार है अपना ---मीर

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