मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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सोमवार, 20 जनवरी 2020

Dharavahik Upanyas --Anhoni !! {3}

दोनों ही बाहर आये। बाहर सभी छात्र छात्राओं की भीड़ थी।  कुछ बातचीत कर रहे थे अधिकांश घर जाने की जल्दबाजी में थे। दोनों के ही घर विपरीत दिशाओं में थे।  दोनों ही मुड़ते मुड़ते एक दूसरे की ओर देखने का लोभ संवरण ना कर सके। घर पहुंचा तो कमलेश्वर मानो हर्ष से उद्वेलित सा था और वह लड़की भी ---अरे ! कौन थी वो ? मैंने तो उसका नाम भी नहीं पूछा ,पछताता सा कमलेश्वर सोच रहा था। 
रात उसे देर तक नींद भी नहीं आयी और यही हाल उस लड़की का भी था,तहसीलदार साहब अनमोल ठाकुर की एकलौती सुन्दर और बुद्धिमान बिटिया का। 
दूसरा दिन फिर से नया उत्साह लिए आया।  कमलेश्वर अपने नोट्स लेना नहीं भूला। आज वह अपेक्षा कृत जल्दी तैयार हो गया,उसे जल्दी कॉलेज पहुंचना था। 
उसने अपनी साइकिल उठाई और चल दिया उसे आज अन्य छात्रों की भीड़ भी नहीं दिखाई दी। जब वह महाविद्यालय पहुंचा तो सन्नाटा सा छाया था। गार्ड रूम भी बंद था। अंदर प्रवेश किया तो चपरासी रामदयाल दिख गया,उसने खुद ही पूछ लिया ,आज इतवार को कैसे आये हो कमलेश्वर बाबू ? कमलेश्वर   झेंप गया ,कोई उत्तर भी नहीं था। कार्यालय भी बंद ही था। वह पलट कर घर की ओर चल दिया अब उसे यह पहाड़ सा दिन और पहाड़ सी रात भी काटनी है। 
उधर वह लड़की भी कमलेश्वर की छवि को बार बार मानस पटल पर उभरता सा पा रही थी। कितना आकर्षक है ,उसने सोचा ,और बुद्धिमान भी ,आखिर प्रिंसिपल सर ने उसी से नोट्स लेने को क्यों कहा ? कल तो इतवार है अब तो उससे परसों ही मुलाकात हो पायेगी वह भी उदास सी बिस्तर पर जा लेटी --क्रमशः 

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