मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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सोमवार, 26 अगस्त 2024

Harishankar parsai !! A renowned Personality !!

  हरिशंकर परसाई जी की व्यंग्य की धार ऐसी है कि वक्त बीतने के साथ और तीखी हो रही है.... ... उनके अलग-अलग व्यंग्य लेखों से 20 लाइनें आपके समक्ष रखी हैं, मिर्ची से भी तीखी लगेंगी .... हरिशंकर जी का टी-20


1- लडक़ों को, ईमानदार बाप निकम्मा लगता है ।


2- दिवस कमजोर का मनाया जाता है, जैसे हिंदी दिवस, महिला दिवस, अध्यापक दिवस, मजदूर दिवस । कभी थानेदार दिवस नहीं मनाया जाता।


3- व्यस्त आदमी को अपना काम करने में जितनी अक्ल की जरूरत पड़ती है, उससे ज्यादा अक्ल बेकार आदमी को समय काटने में लगती है।


4- जिनकी हैसियत है वे एक से भी ज्यादा बाप रखते हैं । एक घर में, एक दफ्तर में, एक-दो बाजार में, एक-एक हर राजनीतिक दल में।


5-आत्मविश्वास कई प्रकार का होता है, धन का, बल का, ज्ञान का । लेकिन मूर्खता का आत्मविश्वास सर्वोपरि होता है ।


6- सबसे निरर्थक आंदोलन भ्रष्टाचार के विरोध का आंदोलन होता है। एक प्रकार का यह मनोरंजन है जो राजनीतिक पार्टी कभी-कभी खेल लेती है, जैसे कबड्डी का मैच ।


7- रोज विधानसभा के बाहर एक बोर्ड पर ‘आज का बाजार भाव’ लिखा रहे। साथ ही उन विधायकों की सूची चिपकी रहे जो बिकने को तैयार हैं । इससे खरीददार को भी सुविधा होगी और माल को भी ।


8- हमारे लोकतंत्र की यह ट्रेजेडी और कॉमेडी है कि कई लोग जिन्हें आजन्म जेलखाने में रहना चाहिए वे जिन्दगी भर संसद या विधानसभा में बैठते हैं ।


9- विचार जब लुप्त हो जाता है, या विचार प्रकट करने में बाधा होती है, या किसी के विरोध से भय लगने लगता है, तब तर्क का स्थान हुल्लड़ या गुंडागर्दी ले लेती है ।


10- धन उधार देकर समाज का शोषण करने वाले धनपति को जिस दिन महा जन कहा गया होगा, उस दिन ही मनुष्यता की हार हो गई ।


11- हम मानसिक रूप से दोगले नहीं तिगले हैं । संस्कारों से सामन्तवादी हैं, जीवन मूल्य अर्द्ध-पूंजीवादी हैं और बातें समाजवाद की करते हैं।


12- फासिस्ट संगठन की विशेषता होती है कि दिमाग सिर्फ नेता के पास होता है, बाकी सब कार्यकर्ताओं के पास सिर्फ शरीर होता है ।


13- बेइज्जती में अगर दूसरे को भी शामिल कर लो तो आधी इज्जत बच जाती है।


14- दुनिया में भाषा, अभिव्यक्ति के काम आती है । इस देश में दंगे के काम आती है।


15- जब शर्म की बात गर्व की बात बन जाए, तब समझो कि जनतंत्र बढिय़ा चल रहा है।


16- जो पानी छानकर पीते हैं, वो आदमी का खून बिना छाने पी जाते हैं।


17- सोचना एक रोग है, जो इस रोग से मुक्त हैं और स्वस्थ हैं, वे धन्य हैं।


18- हीनता के रोग में किसी के अहित का इंजेक्शन बड़ा कारगर होता है।


19- नारी-मुक्ति के इतिहास में यह वाक्य अमर रहेगा कि ‘एक की कमाई से पूरा नहीं पड़ता।’


20- एक बार कचहरी चढ़ जाने के बाद सबसे बड़ा काम है, अपने ही वकील से अपनी रक्षा करना ।

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