पौराणिक कथाओं के अनुसार ऋद्धि (बुद्धि, विवेक और आत्मज्ञान की अधिष्ठात्री) और सिद्धि (सुसफलता की अधिष्ठात्री) गणेश जी की पत्नियां हैं और प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं।
ऋद्धि सिद्धि के पुत्रों का नाम -
शुभ(क्षेम) और लाभ हैं जिनके पत्नियां हैं -तुष्टि और पुष्टि तथा पुत्र हैं - आमोद और प्रमोद!
स्वास्तिक के उपर मध्य में और बांयी तरफ शुभ-लाभ का स्थान है। स्वास्तिक के अलग-अलग रेखाएं ऋद्धि सिद्धि हैं।
गणेश और ऋद्धि सिद्धि के विवाह की अनेकों कथाएं प्रचलित है।
जिनमें तुलसी के श्राप के कारण, ब्रह्मा जी के भेंट स्वरूप इत्यादि हैं।
दीपावली में गणेश परिवार की पूजन से ऋद्धि सिद्धि, शुभता लाभ और आनंदमय जीवन प्राप्त होती है।
इसके लिए सरल मंत्र हैं -
गणेश -
ऊं गं गणपत्यै नमः।।
ऋद्धि -
ऊं हेमवर्णायै ऋद्धयै नमः।।
सिद्धि -
ऊं सर्वज्ञान भूषितायै सिद्धयै नमः।।
लाभ-
ऊं सौभाग्य प्रदाय धन धान्य युक्ताय लाभाय नमः।।
शुभ -
ऊं पूर्णाय पूर्णमादाय शुभाय नमः।।
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