कुछ रहम कर,ऐ जिंदगी!
बीच बीच मे संभल जाने दे,
तेरा हर जख्म हम सह लेंगे
बस पहले वाला भर जाने दे!
तू चेहरे की बढ़ती सलवटों की परवाह ना कर,
हम लिखेंगे अपनी शायरी में हमेशा जवाँ तुझको....
जहाँ तक रास्ता दिख रहा है, वहाँ तक चलिए। आगे का रास्ता वहाँ पहुँचने के बाद दिखने लगेगा।
उठाना ख़ुद हीं पड़ता है
थका टूटा बदन अपना..!
कि जब तक साँस चलती है
कोई कंधा नहीं देता
अभी ताज़ा हैं इश्क़ बहुत कसमें खाओगे*
*वक़्त बीतने दो देखते हैं कितना निभाओगे
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