मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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शनिवार, 19 अप्रैल 2025

Ek Kavita mamatamayee !!

 नाम सभी हैं गुड से मीठे , मैया , माँजी , माई , माँ

सभी साड़ियाँ छीज़ गईं थीं मगर नही कह पाई माँ

घर में चूल्हे मत बाँटो रे , देती रही दुहाई माँ

बाबूजी बीमार पड़े जब साथ साथ मुरझाई माँ

रोती है लेकिन छुपकर, बड़े सब्र की जायी माँ

लड़ते लड़ते सहते सहते रह गई एक तिहाई माँ

माँ से घर , घर लगता है , घर में घुली समाई माँ

लेती नही दवाई माँ , जोड़े पाई पाई माँ

दुःख थे पर्वत राई माँ ,हारी नही लड़ाई माँ

इस दुनिया में सब मैले हैं , किस दुनिया से आई माँ

दुनिया के सं रिश्ते ठंडे , गर्मा गर्म रज़ाई माँ

जब भी कोई रिश्ता उधड़े करती तुरत तुरपाई माँ

बाबूजी बस तनखा लाए लेकिन बरकत लाई माँ 

बाबूजी थे सख़्त मगर ,माखन और मलाई माँ 

बाबूजी के पाँव दबा कर सब तीरथ हो आई माँ !

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