मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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शनिवार, 6 सितंबर 2025

Samantayen - Vishamtayen !!

 समानताएँ - विषमताएँ 

ईश्वर ने रचा है सबको एक सा 

लेकिन सबकी होती हैं भिन्न भिन्न मानसिकताएँ

इच्छाएँ , अभिलाषाएँ ,चिंताएँ 

कोई दिखा भी नहीं सकता किसी को 

अपनी दुर्बलताएँ व्यथाएँ 

साथ साथ चलते हैं सभी 

बिताते हैं जीवन का समय 

लिए हुए हैं अपने अपने सरों पर 

अपने अपने कर्मों का टोकरा 

बाँट नहीं सकता कोई भी किसी का 

मन में छुपा दर्द , अपनी कुंठाएँ 

एक दूसरे से अभिन्न दिखने वाले 

पति पत्नी , सहोदर अथवा 

माता और उसके जन्म दिये हुए पुत्र पुत्री भी 

चल रहे हैं सभी समानांतर , रेल की पटरियों कि भाँति किंतु 

दृष्टिगत हो सकता है

मतांतर , किंतु छुपीं ही रह जाती हैं 

सबकी अपनी अपनी चिंताएँ 

कभी छोटी छोटी शारीरिक परेशानियाँ 

कभी बड़े बड़े गंभीर रोग 

स्वयं ही भोगता है व्यक्ति 

लेशमात्र भी बाँट नहीं सकता किसी से 

कई बार भीतर ऑपरेशन टेबल पर 

लड रहा होता है वह ज़िंदगी और मौत की लड़ाई 

और बाहर उसके सभी अपने 

माँग रहे होते हैं ईश्वर से दया का दान 

मान रहे होते हैं कई मनौतियाँ 

और जब डॉक्टर आ कर कहता है “ सब ठीक है “

 तो आ पाती है उनकी साँस में साँस , और चेहरे पर तनिक सी 

प्रसन्नताएँ !!

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