Exactly at three Neelam aunty came with the two boys Ravi and Raju. She went back from the door.Nikita spread a mat in the aangan and brought a chair for herself. She asked both the boys to take out their books and note books. At first she saw all the books and found she can perfectly teach them. She then asked both the boys about the homework given by the class teacher. She helped them completing the homework first and then she asked them to learn one question each for test. She wanted to judge their level.Both children were quite good and taking interest in studies. She asked their percentages and knew they were above 70% and to bring them up to 80-85 % was not tough. After one and half hours of complete study she asked them to go. She stood near her door till they entered in their house. She felt a bit relaxed, it was the best way to forget about mom dad Vineeta her college and friends. Above all the guilt of deceiving innocent parents , who brought her up like pampered child. And then forgetting the betrayal of Sujay. ——- Continued ——-
Lekhika
Me : Nirupama Sinha, M.A.{ Psychology } B.Ed.
मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts
- nirupamalekhika.blogspot.com
- I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.
गुरुवार, 31 जुलाई 2025
An inspiring story !!
फील्ड मार्शल का ड्राइवर
जैसा कि हम जानते हैं, ये ड्राइवर आर्मी हेडक्वार्टर्स की ट्रांसपोर्ट कंपनी, धौला कुआँ, दिल्ली से चयनित आर्मी सर्विस कोर के सिपाही होते हैं।
स्वाभाविक है कि सेना प्रमुख (Army Chief) के पास अपनी सरकारी ड्यूटी के लिए एक से अधिक ड्राइवर रहे होंगे। सभी सेवा में लगे सैनिकों की तरह, ड्राइवर को भी हर साल छुट्टी लेने का अधिकार होता है। ऐसे ही एक ड्राइवर थे हरियाणा के निवासी हविलदार श्याम सिंह।
एक दिन जनरल सैम मानेकशॉ, नॉर्थ ब्लॉक में एक बैठक से हँसते हुए बाहर निकले। ड्राइवर, सख्त सावधान की मुद्रा में खड़ा था और उसने तुरंत गाड़ी का दरवाजा खोल दिया। अप्रैल का महीना था – एक सुखद, नरम धूप और हल्की हवा वाला दिन।
तुम्हें पता है श्याम सिंह,” जनरल ने हँसते हुए कहा, “आज रक्षामंत्री ने मेरा नाम ही बदल दिया। मुझे श्याम कहकर बोले – श्याम, मान भी जाओ।”
जनरल मानेकशॉ का इशारा रक्षामंत्री बाबू जगजीवन राम की उस विनती की ओर था, जो प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के कहने पर पूर्वी पाकिस्तान पर अप्रैल में हमले के लिए की गई थी। सैम ने यह कहकर मना कर दिया था कि अगर अप्रैल में हमला हुआ तो भारत को 100% हार मिलेगी।
“वैसे श्याम और सैम में ज्यादा फर्क नहीं है – बस एक H और Y का ही तो खेल है,” जनरल ने मुस्कुरा कर कहा।
जब युद्ध समाप्त हो गया और जनरल मानेकशॉ के रिटायरमेंट की तारीख नजदीक आने लगी, उन्होंने देखा कि श्याम सिंह कुछ असामान्य रूप से तनावग्रस्त रहने लगे हैं। उनके चेहरे पर बेचैनी साफ झलक रही थी, जो जनरल ने तुरंत भांप ली।
क्या बात है श्याम सिंह, इन दिनों तुम्हारा चेहरा ऐसा लग रहा है जैसे तुम्हारे घर की भैंस ने दूध देना बंद कर दिया हो?”
नहीं साहब, वो बात नहीं है,” और फिर वह कुछ और बोले बिना चुप हो गए।
दिन बीतते गए और रिटायरमेंट का समय करीब आता गया। एक दिन श्याम सिंह ने जनरल से कहा:
“साहब, एक निवेदन है जो सिर्फ आप ही पूरा कर सकते हैं।”
“हाँ, बोलो श्याम सिंह।”
साहब, मैं समय से पहले सेवा से निवृत्त होना चाहता हूँ। कृपया मेरी छुट्टी की सिफारिश करें।”
“लेकिन बात क्या है? कोई ज़मीन-जायदाद का मुकदमा है या पारिवारिक परेशानी? तुम अपनी पूरी सेवा पूरी करो। मैं तुम्हें नायब सूबेदार बनवा दूँगा, लेकिन सेवा मत छोड़ो,” जनरल ने समझाया।
नहीं साहब, बात कुछ और है, लेकिन मैं वह तब तक नहीं बता सकता जब तक सेवा से मुक्त नहीं हो जाता।”
जनरल ने उसकी साफगोई और इज़्ज़त की भावना को समझा और आवश्यक कार्रवाई कर दी। जब ड्राइवर की रिहाई के आदेश आ गए, जनरल ने फिर पूछा:
“अब तो खुश हो? अब बताओ क्यों जल्दी रिटायर हो रहे हो?”
ड्राइवर सावधान मुद्रा में खड़ा हो गया और बोला:
साहब, आपकी गाड़ी चलाने के बाद मैं किसी और की गाड़ी नहीं चला सकता। यही मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान था। मैं इसी इज़्ज़त के साथ घर जाना चाहता हूँ।”
फील्ड मार्शल हँसे और बोले:
“तू बहुत बड़ा बेवकूफ है! तुम हरियाणवी लोग भी ना – एकदम ज़िद्दी और पक्के!”
लेकिन अब जब छुट्टी के काग़ज़ बन चुके थे, कुछ नहीं किया जा सकता था। वह तो ठेठ हरियाणवी था – जो मन में ठान ले, फिर पीछे नहीं हटता।
फिर भी जनरल ने एक दिन उससे पूछा:
“रिटायरमेंट के बाद क्या करेगा?”
“कुछ न कुछ कर लूंगा साहब, कोई नौकरी ढूंढ़ लूंगा।”
“तुम्हारे पास खेती की ज़मीन कितनी है?”
“कुछ भी नहीं साहब, मैं तो गरीब परिवार से हूँ।”
जनरल सन्न रह गए। एक निर्धन व्यक्ति, जिसने सिर्फ इसलिए नौकरी छोड़ दी क्योंकि वह किसी और की गाड़ी नहीं चला सकता था।
जिस दिन ड्राइवर विदा हुआ, सैम मानेकशॉ ने उसे एक लिफाफा दिया।
“श्याम सिंह, इसे घर जाकर ही खोलना।”
“जी साहब।” ड्राइवर ने सलाम किया और चला गया।
घर पहुँचकर वह नौकरी ढूँढ़ने में व्यस्त हो गया और लिफाफा भूल ही गया। एक दिन उसे माल ढोने वाले ट्रक की ड्राइवरी का काम मिल गया। फिर एक दिन उसकी पत्नी बोली:
“मैं तुम्हारी आर्मी की वर्दी संदूक में रख रही थी, ये लिफाफा तुम्हारी जेब में मिला।”
“अरे, इसे तो मैं भूल ही गया था। मैंने इसे नहीं खोला क्योंकि मुझे ज्यादा पढ़ना-लिखना नहीं आता। साहब ने शायद मुझे एक प्रशंसा पत्र दिया होगा, जैसे बड़े अफसर देते हैं।”
“फिर भी, इसे खोलो और स्कूल मास्टरजी से पढ़वा लो, मैं जानना चाहती हूँ इसमें क्या है।”
तो दोनों पति-पत्नी गाँव के स्कूल गए और हेडमास्टर से निवेदन किया कि वह पत्र पढ़कर सुनाएँ।
मास्टरजी ने चश्मा पहना, लिफाफा खोला और काग़ज़ को देखकर चुपचाप रह गए।
“क्या हुआ मास्टरजी, ऐसे क्या देख रहे हैं?” श्याम सिंह ने पूछा।
“क्या तुम्हें पता है ये क्या है?”
“नहीं साहब।”
“यह एक हस्तांतरण पत्र (transfer deed) है। 1971 की जीत के बाद हरियाणा सरकार ने फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ को 25 एकड़ ज़मीन युद्ध जागीर के रूप में दी थी। उन्होंने वह सारी ज़मीन तुम्हारे नाम कर दी है। अब तुम 25 एकड़ के मालिक हो।”
यह सुनकर पत्नी ने गुस्से में पति को डाँटा:
“तू तो पूरा बेवकूफ निकला! मैं तो इस लिफाफे को चूल्हा जलाने के लिए जलाने ही वाली थी! भगवान का शुक्र है मैंने पहले पूछ लिया। तू तो सबसे बड़ा मूर्ख है!”
इस तरह यह कहानी है महान जनरल सैम मानेकशॉ की – जिन्होंने अपनी युद्ध जागीर सोनीपत के पास अपने मड्राइवर को दे दी और अपनी फील्ड मार्शल की पेंशन आर्मी विडोज़ वेलफेयर फंड को दान कर दी।
Dharm & Darshan !! Naag Panchami !!
कायस्थों के लिए नागपंचमी की महत्ता/ उदय सहाय
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मान्यता है कि कायस्थो का ननिहाल "नागवंश" है। आज भी कश्मीर के कई इलाक़ों का नाम नाग़ है, (अनंतनाग, वेरिनाग, नीलानाग आदि) जहाँ सैंकड़ों वर्ष तक कायस्थों का राज रहा। वर्तमान मध्य प्रदेश के शिप्रा नदी के समीप कायथा गाँव के पास अवतरित होकर, श्री चित्रगुप्त जी ने वर्षों विधि विधान पर पारंगत होने की तपस्या की। तपस्या पूर्ण होने पर यहीं भगवान श्री चित्रगुप्त की दो शादियाँ संपन्न की भगवान ब्रह्मा जी ने, जिनसे 12 पुत्र थे। श्री चित्रगुप्त भगवान ने इन पुत्रों को भारत के तत्कालीन सर्वश्रेष्ठ गुरुकुलों में भेजा। तत्पश्चात् इन पुत्रों का विवाह नागराज बासुकी की बारह कन्याओं से सम्पन्न हुआ। इसी कारण से कायस्थों की ननिहाल नागवंश मानी जाती है| इस नागपंचमी के दिन पुराने कायस्थ परिवारों में विधिवत ढंग से पूजा होती है। इस मान्यतानुसार कायस्थ कभी साँपों को नहीं मारते।
श्री चित्रगुप्त भगवान की पहली पत्नी सूर्यदक्षिणा/नंदनी थीं। इनसे 4 पुत्र हुए जो भानू, विभानू, विश्वभानू और वीर्यभानू कहलाए। दूसरी पत्नी एरावती/शोभावति थी, इनसे 8 पुत्र हुए जो चारु, चितचारु, मतिभान, सुचारु, चारुण, हिमवान, चित्र,और अतिन्द्रिय कहलाए।| जिसका उल्लेख अहिल्या, कामधेनु, धर्मशास्त्र एवं पुराणों में भी दिया गया है |
माता सूर्यदक्षिणा / नंदिनी ( श्राद्धदेव की कन्या ) के चार पुत्र काश्मीर के आस -पास जाकर बसे तथा ऐरावती / शोभावति के आठ पुत्र गौड़ देश के आसपास बिहार, उड़ीसा, तथा बंगाल में जा बसे | बंगाल उस समय गौड़ देश कहलाता था, पद्म पुराण में इसका उल्लेख किया गया है |
माता सूर्यदक्षिणा / नंदिनी के पुत्रों का विवरण
1 - भानु ( श्रीवास्तव ) - उनका राशि नाम धर्मध्वज था | चित्रगुप्त जी ने श्री श्रीभानु को श्रीवास (श्रीनगर) और कान्धार के इलाके में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा था| उनका विवाह नागराज वासुकी की पुत्री पद्मिनी से हुआ | उस विवाह से श्री देवदत्त और श्री घनश्याम नामक दो दिव्य पुत्रों की उत्पत्ति हुई | श्री देवदत्त को कश्मीर का एवं श्री घनश्याम को सिन्धु नदी के तट का राज्य मिला | श्रीवास्तव 2 वर्गों में विभाजित हैं। खरे एवं दूसरे। कालांतर में कश्मीर से उतर कर यह अयोध्या, पूर्वी उप्र के भोजपुरी क्षेत्र, उत्तरी बिहार, मध्य प्रदेश, और छत्तीसगढ़ में बसे।
2 - विभानू (सूर्यध्वज ) - उनका राशि नाम श्यामसुंदर था | उनका विवाह नाग कन्या देवी मालती से हुआ | महाराज चित्रगुप्त ने श्री विभानु को काश्मीर के उत्तर क्षेत्रों में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा | चूंकि उनकी माता दक्षिणा सूर्यदेव की पुत्री थीं,तो उनके वंशज सूर्यदेव का चिन्ह अपनी पताका पर लगाये और सूर्यध्व्ज नाम से जाने गए | अंततः वह मगध में आकर बसे|
3 - विश्वभानू ( बाल्मीकि ) - उनका राशि नाम दीनदयाल था और वह देवी शाकम्भरी की आराधना करते थे | महाराज चित्रगुप्त जी ने उनको चित्रकूट और नर्मदा के समीप वाल्मीकि क्षेत्र में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा था | श्री विश्वभानु का विवाह नागकन्या देवी बिम्ववती से हुआ | यह ज्ञात है की उन्होंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा नर्मदा नदी के तट पर तपस्या करते हुए बिताया | इस तपस्या के समय उनका पूर्ण शरीर वाल्मीकि नामक लता से ढका हुआ था | उनके वंशज वाल्मीकि नाम से जाने गए और वल्लभपंथी बने | उनके पुत्र श्री चंद्रकांत गुजरात में जाकर बसे तथा अन्य पुत्र अपने परिवारों के साथ उत्तर भारत में गंगा और हिमालय के समीप प्रवासित हुए | आज वह गुजरात और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं | गुजरात में उनको "वल्लभी कायस्थ" भी कहा जाता है |
4 - वीर्यभानू (अष्ठाना) - उनका राशि नाम माधवराव था और उन्हीं ने नागकन्या देवी सिंघध्वनि से विवाह किया | वे देवी शाकम्भरी की पूजा किया करते थे| महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री वीर्यभानु को आधिस्थान में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा | उनके वंशज अष्ठाना नाम से जाने गए और रामनगर- वाराणसी के महाराज ने उन्हें अपने आठ रत्नों में स्थान दिया | आज अष्ठाना उत्तर प्रदेश के कई जिले और बिहार के सारन, सिवान , चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी,दरभंगा और भागलपुर क्षेत्रों में रहते हैं | मध्य प्रदेश में भी उनकी संख्या ध्यान रखने योग्य है |
माता ऐरावती / शोभावति के पुत्रों का विवरण
1- चारु ( माथुर )- वह गुरु मथुरे के शिष्य थे | उनका राशि नाम धुरंधर था और उनका विवाह नाग कन्या देवी पंकजाक्षी से हुआ | वह देवी दुर्गा की आराधना करते थे | महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री चारू को मथुरा क्षेत्र में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा था| उनके वंशज माथुर नाम से जाने गाये |उन्होंने राक्षसों (जोकि वेद में विश्वास नहीं रखते थे ) को हराकर मथुरा में राज्य स्थापित किया | इसके पश्चात् उनहोंने आर्यावर्त के अन्य हिस्सों में भी अपने राज्य का विस्तार किया | माथुरों ने मथुरा पर राज्य करने वाले सूर्यवंशी राजाओं जैसे इक्ष्वाकु, रघु, दशरथ और राम के दरबार में भी कई पद ग्रहण किये | माथुर 3 वर्गों में विभाजित हैं यथा देहलवी,खचौली एवं गुजरात के कच्छी | उनके बीच 84 अल हैं| कुछ अल इस प्रकार हैं- कटारिया, सहरिया, ककरानिया, दवारिया,दिल्वारिया, तावाकले, राजौरिया, नाग, गलगोटिया, सर्वारिया,रानोरिया इत्यादि| इटावा के मदनलाल तिवारी द्वारा लिखित मदन कोश के अनुसार माथुरों ने पांड्या राज्य की स्थापना की जो की आज के समय में मदुरै, त्रिनिवेल्ली जैसे क्षेत्रों में फैला था| माथुरों के दूत रोम के ऑगस्टस कैसर के दरबार में भी गए थे |
2- सुचारु ( गौड़) - वह गुरु वशिष्ठ के शिष्य थे और उनका राशि नाम धर्मदत्त था | वह देवी शाकम्बरी की आराधना करते थे | महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री सुचारू को गौड़ क्षेत्र में राज्य स्थापित करने भेजा था | श्री सुचारू का विवाह नागराज वासुकी की पुत्री देवी मंधिया से हुआ | गौड़ कायस्थों में महाभारत के भगदत्त और कलिंग के रुद्रदत्त प्रसिद्द हैं |
3- चित्र ( चित्राख्य ) ( भटनागर ) - वह गुरू भट के शिष्य थे |उनका विवाह नागकन्या देवी भद्रकालिनी से हुआ था | वह देवी जयंती की अराधना करते थे | महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री चित्राक्ष को भट देश और मालवा में भट नदी के तट पर राज्य स्थापित करने के लिए भेजा था | उन्होंने चित्तौड़ एवं चित्रकूट की स्थापना की और वहीं बस गए | उनके वंशज भटनागर के नाम से जाने गए | भटनागर 84 अल में विभाजित हैं | कुछ अल इस प्रकार हैं- दासनिया, भतनिया, कुचानिया, गुजरिया,बहलिवाल, महिवाल, सम्भाल्वेद, बरसानिया, कन्मौजिया इत्यादि| भटनागर उत्तर भारत में कायस्थों के बीच एक आम उपनाम है |
4- मतिभान ( हस्तीवर्ण ) ( सक्सेना ) - माता शोभावती (इरावती) के तेजस्वी पुत्र का विवाह देवी कोकलेश से हुआ | वे देवी शाकम्भरी की पूजा करते थे | चित्रगुप्त जी ने श्री मतिमान को शक् इलाके में राज्य स्थापित करने भेजा | उनके पुत्र एक महान योद्धा थे और उन्होंने आधुनिक काल के कान्धार और यूरेशिया भूखंडों पर अपना राज्य स्थापित किया | आधुनिक इरान का एक भाग उनके राज्य का हिस्सा था| आज वे कन्नौज, पीलीभीत, बदायूं, फर्रुखाबाद, इटाह,इटावाह, मैनपुरी, और अलीगढ में पाए जाते हैं| सक्सेना 'खरे' और 'दूसर' में विभाजित हैं।
5- हिमवान (अम्बष्ठ ) - उनका राशि नाम सरंधर था और उनका विवाह नागकन्या देवी भुजंगाक्षी से हुआ | वह देवी अम्बा माता की अराधना करते थे | गिरनार और काठियवाड के अम्बा-स्थान नामक क्षेत्र में बसने के कारण उनका नाम अम्बष्ट पड़ा | श्री हिमवान की पांच दिव्य संतानें हुईं : श्री नागसेन , श्री गयासेन, श्री गयादत्त, श्री रतनमूल और श्री देवधर | ये पाँचों पुत्र विभिन्न स्थानों में जाकर बसे और इन स्थानों पर अपने वंश को आगे बढ़ाया | अंततः वह पंजाब-दक्षिण कश्मीर में जाकर बसे| सिकन्दर से इन्हें हार का सामना करना पड़ा पर उस युद्ध में सिकंदर आहत हो गया और उसने अपने सेनापति को इन्हें सामूल नाश का आदेश दिया। वहाँ से पलायन कर चंद्रगुप्त के निमंत्रण पर वह पाटलिपुत्र के इर्द गिर्द गाँवों में बसे। यह गाँव इनके "खास घर" कहलाये। इन घरों के नाम उपनाम के रूप में भी इस्तेमाल किये जाते हैं |
6- चित्रचारु ( निगम) - उनका राशि नाम सुमंत था और उनका विवाह नागकन्या अशगंधमति से हुआ | वह देवी दुर्गा की अराधना करते थे | महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री चित्रचारू को महाकोशल और निगम क्षेत्र(सरयू नदी के तट पर) में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा | उनके वंशज वेदों और शास्त्रों की विधियों में पारंगत थे जिससे उनका नाम निगम पड़ा। मुख्य तौर पर यह उत्तर प्रदेश में बसे हैं।
7- चित्रचरण (कर्ण ) - उनका राशि नाम दामोदर था एवं उनका विवाह नागकन्या देवी कोकलसुता से हुआ | वह देवी लक्ष्मी की आराधना करते थे और वैष्णव थे | महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री चारूण को कर्ण क्षेत्र (आधुनिक कर्नाटक) में राज्य स्थापित करने के लिए भेजा था | उनके वंशज समय के साथ उत्तरी राज्यों में प्रवासित हुए और आज नेपाल, उड़ीसा एवं बिहार में पाए जाते हैं | उनकी बिहार की शाखा दो भागों में विभाजित है : 'गयावाल कर्ण' – जो गया में बसे और 'मैथिल कर्ण' जो मिथिला में जाकर बसे | मगध सम्राट महापदमानन्द के समय में कर्ण ऊँचे पदों पर थे। सत्ता परिवर्तन में ये आज का ओड़िसा, आंध्र, तेलंगाना, कर्नाटक, और तमिल नाडु में जा बसे। कलूचरी राज्य की संरक्षण में यह वापस भारत नेपाल सीमा पर इन्होंने कर्नाट राज्य की स्थापना की। इनमें दास, दत्त, देव, कण्ठ, निधि,मल्लिक, लाभ, चौधरी, रंग आदि उपनाम प्रचलित है| मैथिल कर्ण कायस्थों की एक विशेषता उनकी पंजी पद्धति है | पंजी वंशावली रिकॉर्ड की एक प्रणाली है | इस समुदाय का महाभारत के कर्ण से कोई सम्बन्ध नहीं है |
8- चारुण [श्री अतिन्द्रिय] ( कुलश्रेष्ठ )- उनका राशि नाम सदानंद है और उन्हों ने नागकन्या देवी मंजुभाषिणी से विवाह किया | वह देवी लक्ष्मी की आराधना करते हैं | महाराज चित्रगुप्त जी ने श्री अतिन्द्रिय (जितेंद्रिय) को कन्नौज क्षेत्र में राज्य स्थापित करने भेजा था| श्री अतियेंद्रिय चित्रगुप्त जी की बारह संतानों में से अधिक धर्मनिष्ठ और सन्यासी प्रवृत्ति वाली संतानों में से थे | उन्हें 'धर्मात्मा' और 'पंडित' नाम से जाना गया और स्वभाव से धुनी थे | उनके वंशज कुलश्रेष्ठ नाम से जाने गए |आधुनिक काल में वे मथुरा, आगरा, फर्रूखाबाद, इटाह, इटावाह और मैनपुरी में पाए जाते हैं |
Dharm & Darshan !! Yaksh Prashn !!
यक्ष ने युधिष्ठिर से कई महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जिनके उत्तर युधिष्ठिर ने बड़े ही सोच-विचार के साथ दिए। इन प्रश्नों और उनके उत्तरों को निम्नलिखित बिंदुओं में देखा जा सकता है:
आत्म और जीवन*
मैं कौन हूं?* युधिष्ठिर ने उत्तर दिया कि तुम न शरीर हो, न इन्द्रियां, न मन, न बुद्धि। तुम शुद्ध चेतना हो, वह चेतना जो सर्वसाक्षी है।
- *जीवन का उद्देश्य क्या है?* जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है, जिसे जानना ही मोक्ष है।
- *जन्म का कारण क्या है?* अतृप्त वासनाएं, कामनाएं और कर्मफल ही जन्म का कारण हैं।
*संसार और दुःख*
संसार में दुःख क्यों है?* संसार के दुःख का कारण लालच, स्वार्थ और भय हैं।
- *दुःखों से मुक्ति कैसे संभव है?* जो कभी क्रोध नहीं करता, वह दुःखों से मुक्त है।
- *संसार को कौन जीतता है?* जिसमें सत्य और श्रद्धा है, वह संसार को जीतता है।
आध्यात्म और ईश्वर*
परम सत्य क्या है?* ब्रह्म।
- *ईश्वर की रचना क्या है?* वह ईश्वर संसार की रचना, पालन और संहार करता है।
- *ईश्वर का स्वरूप क्या है?* वह सत्-चित्-आनन्द है, वह निराकार ही सभी रूपों में अपने आप को स्वयं को व्यक्त करता है।
*नैतिकता और मूल्य*
- *ब्राह्मणत्व क्या है?* ब्राह्मणत्व शील और स्वभाव पर ही निर्भर है।
- *सच्चा प्रेम क्या है?* स्वयं को सभी में देखना सच्चा प्रेम है।
- *धैर्य क्या है?* अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना ही धैर्य है।
अन्य प्रश्न*
*मृत्यु पर्यंत यातना कौन देता है?* गुप्त रूप से किया गया अपराध।
- *दिन-रात किस बात का विचार करना चाहिए?* सांसारिक सुखों की क्षण-भंगुरता का।
- *संसार में सबसे बड़े आश्चर्य की बात क्या है?* हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों की मृत्यु हो जाती है, यह देखते हुए भी इंसान अमरता के सपने देखता है ¹।
Dharm & Darshan !! A Story ( Marathi)
तो मुलगा शाळेची फी भरण्यासाठी घराघरांत जाऊन काही वस्तू विकायचा.
एके दिवशी त्याचं काहीच सामान विकलं गेलं नाही आणि त्याला प्रचंड भूक लागली होती.
त्याने ठरवलं की आता ज्या घरात जाईल, तिथे तो थेट खाण्यासाठी काहीतरी मागेल.
तो एका घराच्या दाराशी गेला आणि दरवाजा वाजवला.
एका तरुण मुलीने दरवाजा उघडला.
तिला पाहून तो गोंधळला आणि अन्न मागण्याऐवजी फक्त "थोडं पाणी मिळेल का?" असं विचारलं. अन्न मागण्याची त्याची हिम्मतच झाली नाही.
त्या मुलीला त्याची अवस्था लक्षात आली आणि तिने त्याला पाण्याऐवजी एक मोठा ग्लास भरून दूध आणून दिलं.
मुलाने ते दूध हळूहळू प्यायलं आणि विचारलं,
"याचे किती पैसे द्यायचे?"
मुलीने हसून उत्तर दिलं,
"आई म्हणते, जर एखाद्यावर दया केली तर त्याचे पैसे कधीच घ्यायचे नसतात."
तो मुलगा म्हणाला, "मग मी तुम्हाला मनापासून धन्यवाद देतो."त्या क्षणी त्याला केवळ शारीरिक बळच मिळालं नाही, तर माणुसकी आणि देवावरचा विश्वासही अधिक घट्ट झाला.
नंतर अनेक वर्षांनी...
तीच मुलगी जी आता एक मध्यम वयाची स्त्री आहे.. एका गंभीर आजाराने त्रस्त झाली आणि गावातील डॉक्टरांनी तिला शहरातील मोठ्या रुग्णालयात पाठवलं.
तिचा उपचार करणारा डॉक्टर होता – डॉ. हॉवर्ड केल्ली.
त्याने जेंव्हा तिच्या गावाचं नाव ऐकलं, त्याच्या डोळ्यात चमक आली.
तो लगेच उठला आणि त्या रुग्णाच्या खोलीत गेला.
तिला पाहताच त्याने तिला ओळखलं आणि ठरवलं... ती वाचलीच पाहिजे!
त्याने जीव तोडून प्रयत्न केले आणि अखेर तिचा जीव वाचवला.
पुढे डॉ. केल्लीने रुग्णालयाच्या कार्यालयातून तिच्या उपचारांचे बिल मागवले.
बिलाच्या कोपऱ्यात त्याने काहीतरी लिहिलं आणि ते बिल त्या स्त्री पर्यंत पोचवलं.
ती घाबरली होती.
तिला माहिती होतं की आजारपणातून ती सुटली असली तरी एवढ्या मोठ्या बिलामुळे तिचं आयुष्य पुन्हा संकटात येईल.
कापर्या हाताने तिने बिलाकडे पाहिलं.
रक्कम पाहिली आणि मग तिचं लक्ष बिलाच्या कोपऱ्यात लिहिलेल्या ओळींवर गेलं:
"एक ग्लास दूधाने या बिलाची पूर्ण रक्कम भरण्यात आली आहे."
— डॉ. हॉवर्ड केल्ली.
तीनं डोळ्यांतून टपटपणारे अश्रू पुसले, आणि हात जोडून देवाला म्हणाली...
"हे देवा, तुझे मनापासून आभार…
तुझं प्रेम माणसांच्या अंतःकरणातुन आणि हातांतून किती सुंदर पसरतंय!"
या जगात दिलेला प्रेमाचा, दयेचा आणि चांगुलपणाचा एकही क्षण वाया जात नाही.
कधी ना कधी, कुठे ना कुठे आपल्या पर्यंत परत येतात
बुधवार, 30 जुलाई 2025
Dharavahik crime thriller (51)Apradh!!
Nikita came in she had have her breakfast, we may call it brunch because she had no plans for cooking lunch for herself.She was thinking what next ? And she heard knocking on the door. She went and opened the door the lady who met her during vegetables buying was standing . Nikita brought welcomed her. She came in. Nikita took her inside the room. She said “ I live just next door, my husband Subhash Chopda has a shop of hardware out side the street. I have two sons, Ravi in class eighth and Raju in class sixth. Would you teach them ? And how much would you charge.Nikita said I will take fifty rupees each. And yes you can send them from today. Which time they come back from school . She said “ They come back at one afternoon and I will send them at three “ Nikita said okay, I will teach two hours daily and get their homework done every day. “ What’s your good name aunty? She said “ I am Neelam “ Nikita smiled and said “ I am Nikita “both were happy. Neelam Chopda went and Nikita after a long time felt little bit happy. ——Continued ——
मंगलवार, 29 जुलाई 2025
Amazing !!
Tell me why?
The Vishnu temple of Angkor Vat itself is 4 times the size of Vatican City !!
It takes a week to see the temple fully !!
Why is it not one of the 7 wonders of the world ??
Kailashnath Temple of Ellora and other temples there have been painfully carved over a century out of Huge Boulders !!
Why is it not one of the 7 wonders of the world ??
Airavateshwara temple in Kumbakonam has carvings at every inch of the temple !!
Why is it not one of the 7 wonders of the world ??
Brihadeshwara temple in Thanjavur has a 120 tonne Tell me why?
The Vishnu temple of Angkor Vat itself is 4 times the size of Vatican City !!
It takes a week to see the temple fully !!
Why is it not one of the 7 wonders of the world ??
Kailashnath Temple of Ellora and other temples there have been painfully carved over a century out of Huge Boulders !!
Why is it not one of the 7 wonders of the world ??
Airavateshwara temple in Kumbakonam has carvings at every inch of the temple !!
Why is it not one of the 7 wonders of the world ??
Brihadeshwara temple in Thanjavur has a 120 tonne Gopuram lifted over a 60 km ramp !! Temple is full of intricate carvings !!
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Sun Temple of Konark 24 intricately designed wheels, 12 ft in diametre which are seen drawn by horses. These seven horses represent the week, the wheels stand for the 12 months while the day-cycle is symbolised by the eight spokes in the wheels. And this whole depiction tells how the time is controlled by the Sun!!
Why is it not one of the 7 wonders of of the world ??
Rani ka Vav is the finest and one of the largest examples of its kind and designed as an inverted temple highlighting the sanctity of water, the stepwell is divided into seven levels of stairs with sculptural panels; more than 500 principal sculptures of Bhagwan Vishnu and over 1000 minor ones combine religious and legendary imagery !!
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
JUST the ruins of Hampi have over 500 monuments spread around hills and valleys. These include alluring temples, ruins of palaces, royal pavilions, bastions, historical treasures, archaeological relics of aquatic structures & ancient markets.
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Modhera Sun Temple is an exquisitely carved temple complex and the magnificently sculpted kund are jewels in the art of masonry of the Solanki period which was also known as the Golden Age of Gujarat. The design element of the temple follows the tenets of Vastu - Shilpa. The kund (reservoir) and the entrance passageway face east welcoming the rays of the sun, and the entire structure floats on a plinth resembling a flowering lotus as an ablution to the sun god. The main complex is divided into three parts, the entrance which is the ‘Sabha Mandap’, ‘Antaral’ the connecting passage and the ‘Garbagruha’, the sanctum sanctorum.
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Pattadakal was not only popular for Chalukyan architectural activities but also a holy place for the royal coronation, 'Pattadakisuvolal'. Temples here are a perfect blend of the Rekha, Nagara, Prasada and the Dravida Vimana styles of temple architecture. The oldest temple at Pattadakal is Sangamesvara built by Vijayaditya Satyasraya (AD 697-733).
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Ratneshwar Temple, nestled near Manikarnika Ghat in Varanasi, leans by around 9 degrees while Leaning Tower of pisa leans at around 4 degrees . As per some reports, the temple has a height of 74 metres, which is around 20 metres higher than the Pisa tower. The historic Ratneshwar Temple dates back to centuries and is one of the most photographed temples in Varanasi.
So why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Ans : Because we dont care to even* *know !! Others take special pride in* *foisting their architectural marvels* *while we do not even know that these* *marvels exist.*
*Know the grand history & heritage of Bharat* , * Gopuram lifted over a 60 km ramp !! Temple is full of intricate carvings !!
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Sun Temple of Konark 24 intricately designed wheels, 12 ft in diametre which are seen drawn by horses. These seven horses represent the week, the wheels stand for the 12 months while the day-cycle is symbolised by the eight spokes in the wheels. And this whole depiction tells how the time is controlled by the Sun!!
Why is it not one of the 7 wonders of of the world ??
Rani ka Vav is the finest and one of the largest examples of its kind and designed as an inverted temple highlighting the sanctity of water, the stepwell is divided into seven levels of stairs with sculptural panels; more than 500 principal sculptures of Bhagwan Vishnu and over 1000 minor ones combine religious and legendary imagery !!
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
JUST the ruins of Hampi have over 500 monuments spread around hills and valleys. These include alluring temples, ruins of palaces, royal pavilions, bastions, historical treasures, archaeological relics of aquatic structures & ancient markets.
Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Modhera Sun Temple is an exquisitely carved temple complex and the magnificently sculpted kund are jewels in the art of masonry of the Solanki period which was also known as the Golden Age of Gujarat. The design element of the temple follows the tenets of Vastu - Shilpa. The kund (reservoir) and the entrance passageway face east welcoming the rays of the sun, and the entire structure floats on a plinth resembling a flowering lotus as an ablution to the sun god. The main complex is divided into three parts, the entrance which is the ‘Sabha Mandap’, ‘Antaral’ the connecting passage and the ‘Garbagruha’, the sanctum sanctorum.
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Why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Ratneshwar Temple, nestled near Manikarnika Ghat in Varanasi, leans by around 9 degrees while Leaning Tower of pisa leans at around 4 degrees . As per some reports, the temple has a height of 74 metres, which is around 20 metres higher than the Pisa tower. The historic Ratneshwar Temple dates back to centuries and is one of the most photographed temples in Varanasi.
So why is it not one of the 7 wonders of the wonders of the world ??
Ans : Because we dont care to even* *know !! Others take special pride in* *foisting their architectural marvels* *while we do not even know that these* *marvels exist.*
*Know the grand history & heritage of Bharat*
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