मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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मंगलवार, 24 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !! { Ramcharitmanas-- Mukhya Ansh }---1

वर्णनामार्थ सन्धानां रसानां छंद सामपि 
मंगला नाम कर्तारौ वनडे वाणी विनायकौ 
भवानी शंकरौ वंदे  श्रद्धा विश्वास रुचिनौ 
याभ्यां विना न पश्यन्ति सिद्धा स्वान्तः स्थमीश्वरं 
वंदे  बोधमयं नित्यं गुरु शंकर रूपिणो 
यमाश्रितो हि वक्रोपि चंद्र सर्वत्र वन्द्यते 
सीताराम गुण ग्राम पुण्यारण्य विहारिणी 
वंदे विशुद्ध विज्ञानों कवीश्वर कपीश्वरौ 
उद्धव स्थिति संहार कारिणीम क्लेश हारिणीम 
सर्व श्रेयस्करी सीता न तोअहम् राम वल्लभाम 
रामं रामानुजं सीताम भरतम भरतानुजम 
सुग्रीवं वायुसुनुम च प्रणमामि पुनः पुनः 
वामे भूमि सुता पुरस्तु हनुमान पश्चात् सुमित्रासुतो 
शत्रुघ्नो भरतश्च पार्श्व दली  यो  वायव्य कोणादिषु 
सुग्रीवश्च विभीषणश्च युवराज तारा सुतो जाम्बवान 
मध्ये नील सरोज कोमल मणि रामं भजे श्यामलं 
रक्ताम्भोज दला भिरामं नयनं पीताम्बरा लंकृतम 
श्यामाङ्गं द्विभुजं प्रसन्न वदनं श्री सीतया शोभितं 
कारुण्यामृत सागरं प्रिय गणे भात्राभिमिवितम 
वंदे विष्णु शिवरी सेव्य मनिशं भक्तेष्टि सीही प्रदं 
प्रसन्नताया न गता भिषेक तस्थतान मम्ले वनवास दुःखतः 
मुखाम्बुजम श्री रघुननन्दनस्य में सदास्तु सा मञ्जु ल मंगल प्रदा 
नीलाम्बुज श्यामल कोमलांग सीता समारोपित वामभाग 
पागौ महा सायक चारु चाप  नमामि राम रघुवंशनाथम 
राघव रामचंद्रच रावनारि रमापति राजीवलोचन राम तं वंदे रघुनंदनम 
श्री रामचंद्र रघुपुङ्गव राजवर्य राजेंद्र राम रघुनायक राघवेश 
राजाधिराज रघुनन्दन रामचंद्र दासो अ मध्य भवतं शरणागतोस्मि रत्नदीपम 
श्री राघव दशरथात्मजः प्रमेयं सीतापतिं रघुकुलान्वय 
आजानुबाहु मरविन्द डाले ताक्षम रामम निशाचर विनाशकरं नमामि 
वैदेही सहित सुरडम तलहै में महामंडपे 
मध्ये पुष्पक मासने मणिमये वीरासने सुस्थितां 
अग्रे वाच्यति प्रभंजन सुते तत्वम मुनिभ्यः परं 
व्याख्यांतम भारतादिभिः परिवृत्तम राम भजे श्यामलं 
श्रीरामो रामभद्रश्च रामचन्द्राय शाश्वतः 
रामविलोचनः श्रीमान राजेन्द्रो रघुपुंगवः 
जानकी वल्लभो जैत्रो जितामित्रो जनार्दनः 
विश्वामित्र प्रियो दान्तः शत्रुजिच्छत्रु तापनः 
वालि प्रथमनो वाग्मी सत्य वाक्य सत्य विक्रमः 
सत्यव्रतों व्रतधरः सरा हनुमदाश्रितः 
कौसल्ये खरध्वंसी विराध वध पण्डितः 
विभीषण परित्राता हरकोदंड खंडनः 
सप्तताल प्रभेत्ता च दशग्रीव शिरोहरः 
जामदग्न्य महा दर्प दलन स्तारकांतकः 
वेदांत सारो वेदात्मा भव रोगस्य भेष तम 
दूषण त्रिशिरो हंता त्रिमूर्तिश्चि गुणात्मकः 
त्री विक्रमाश्चि लोकात्मा पुण्य चारित्र्य कीर्तनः 
त्रिलोक रक्षको धन्वी दंडकारण्य पावनः 
अहल्या शाप शमन पितृभक्तो वरप्रदः 
जितेन्द्रियों जितक्रोधो जितामित्रो जगतगुरुः 
ऋक्ष वानर संधानी चित्रकूट समाश्रयः 
जयंत त्राण वरदः सुमित्रपुत्र सेवितः 
सर्व देवादि देवाश्च मृत वानर जीवनः 
माया मारीच हंता च महादेवो महा  भुजः 
सर्व देव स्तुतः सौम्यो ब्राम्हणो मुनि संस्तुतः 
महा योगी महोदारः सुग्रीवेप्सिद राज्यदः 
सर्व पुण्याधिकम फल स्मृत सर्वाध नाशनः 
आदि देवो महादेवो महापुरुष एवं च 
पुण्यो दयो दया सारः पुराण पुरुषोत्तमः 
स्मित वक्रो मिट भाषी पूर्व भाषी च राघवः 
अनंत गुण गम्भीरो धीरोदात्त गुणोत्तमः 
माया मानुष चरित्रों महा देवादि पूजितः 
सेतु कज्जित वारीशः सर्व तीर्थ मेयो हरिः 
श्यामा ङ्गम सुन्दरः शूर पीताम्बरस्य धनुर्धरः 
सर्व यज्ञाधियो यज्वा जरामरण वर्जितः 
परमात्मा परम ब्रम्ह सच्चिदानंद विग्रहः 
परेशः पारगः पाग सर्व देवात्मकः परः 
यस्याङ्के च विभूति भूधर सुता देवापगा मस्तके 
भाले बाल विधुर्गलेच गरलम यस्योरसि व्यलराट   
सोयम भूति विभूषणम सुरवरः  सर्वाधिपः सर्वदा 
शरवः सर्व गतः शिव शशि निभः ,श्री शंकर पातुमाम 
शरवेन्द्र भम तीव सुन्दर तनु शार्दुल चर्माम्बरं 
काल व्याल कराल भूषण धर गंगा शशांक प्रियं 
काशिश कालिकल्प षोध शमनं कल्याण कल्पद्रुम 
नौमी अ यं गिरिजापतिम गुण निधि कन्दर्पटम शंकरम 
यो ददाति सता शम्भो केवल्यमपि दुर्लभम 
खलानां दंड कृपो असौ शंकर शं तनातु में 
लव निमेष परमाणु जग बरष कल्प सर चंड 
मजसि न मन तेहि राम को कालू जासु को दंड 
कुंद इंदु दर गौर सुंदरम अम्बिका पति भिष्ट सिद्धिम 
कारुणिक कलकंज लोचन नौमी शंकर मनंग मोचनम 
सौराष्ट्रे सोमनाथंच श्री शैले मल्लिकार्जुनाः 
उज्जयिन्या महाकाल मोंकार ममलेश्वरम 
परल्यां वैद्यनाथंच डाकिन्या भीमशंकर
 सेतु बंधे तू रामेशं नागेशं दारुकावने 
वारणास्या तु विश्वेशम त्रयंबकम गौतमी तटे 
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये 
ऐतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेनरः 
सप्त जन्म कृतः पापः स्मरणेन विनश्यति 
नागेन्द्र हाराय ,त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय 
नित्याय शुद्ध्याय दिगम्बराय तस्मै "न " काराय नमः शिवाय 
मन्दाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथाय महेश्वराय 
मंदार पुष्प बहु पुष्प सुपूजिताय तस्मै "मं "काराय नमः शिवाय 
शिवाय गौरी वंदना न्य वृन्द सूर्याय दक्ष ध्वरं नाशकाय 
श्री नील कंठाय वृषध्वजाय तस्मै "शि "काराय नमः शिवाय 
वशिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य मुनीन्द्र देवार्चित शेखराय 
चन्द्रर्की वैश्वानर लोचनाय तस्मै "व"काराय नमः  शिवाय 
यक्ष स्वरूपाय जटा धराय पिनाक हस्ताय सनातनाय 
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै "य"काराय नमः शिवाय 
पंचाक्षर मिदम पुण्यं यः पठेच्च्छिव सन्निधौ 
शिव लोकम वाप्नोति शिवेन सह मोदते 
नमस्ते नमस्ते विभो विश्व मूर्ते 
नमस्ते नमस्ते विद्यानंद मूर्ते 
नमस्ते नमस्ते तपोयोग गम्य नमस्ते नमस्ते श्रुति ज्ञान गम्य 
प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथाय 
महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र 
शिवकांत शांतं स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्यः 
नमामी शमीशान निर्वाण रूपम विभुम व्यापकं ब्रम्ह वेदस्वरूपं 
निजं निर्गुणम निर्विकल्पम निरीहं चिदाकाशमाकाश वासं भजेहं 
निराकार मोंकार मूलम तुरीयं गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं 
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसार पारं न तो अहम 
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरं 
स्फुरन्मौलि कलौलीनी चारु गंगा लसद्भाल बालेंदु कंठे भुजङ्गा 
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रम विशालं प्रसन्नाननं नीलकंठम दयालं 
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियम शंकरं सर्व नाथं भजामि 
प्रचंडम प्रकष्टम प्रगल्भम परेशं अखंडं अजम भानु कोटि प्रकाशम 
त्रयः शूल निर्मूलनम शूल पाणिम भजेहं भवानीम पतिम भावगम्यम 
कालातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्ज्नानंद दाता पुरारी 
चिदानंद संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी 
न यावद उमानाथ पादार्विन्दम भजम तीन लौके परे  वा  नराणाम
न तावद सुखम शांति संताप नाशं प्रसीद प्रभो सर्व भूताधिवासं 
न जानामि योगम जपं नैव पूजां नतोहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम 
जरा जन्म दुःखोध तातप्य मानं प्रभो पाहि आपन्नमाशीष शम्भो !
रुद्राष्टकमिदम प्रोक्तम विप्रेण हर तोषये 
ये पतन्ति नरा भकत्यां तेषाम शम्भु प्रसीदति 
रत्ने कल्पित मासनम हिमजलै स्नानं च दिव्याम्बरे 
नाना नाना रत्न विभूषितम मृगमदा मोदान्कितं चन्दनं 
जाती चम्पक विल्वपत्र संचितं पुष्पम च धूपम तथा 
दीपम देव दयानिधे पशुपते ह्रं काल्पितम ग्रहम ताम 
सौवर्णे नवरत्न खंड रचिते पात्रे घृतं पायसः 
भक्षम पञ्च विधम पयोदधि  युतं रंभा फलं पान्कम 
शाकानाम युतं जल रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वल 
ताम्बूलं मनसा माया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकरु
छत्रम चामर योरयुग्मं व्यंजनकम चदर्शकः निर्मलम 
वीणा भेरी मृदंग का हल कला गीतम च नृत्यं तथा 
साष्टांग प्रणति स्तुतिर्बहू विधा ह्ये ता त्समास्त  मया 
संकल्पेन समर्पित तव विभो पूजां गृहाण प्रभो 
आत्मा त्वम गिरिजा मतिः सहचरा प्रणाम शरीरं गृहम 
पूजा ते विषयोपभोग रचना निद्रा समाधिस्थितिः 
संचार पदयोः प्रदक्षिणा विधिः स्तोत्राणि सर्वा शिरो 
यद्यत कर्म करोमि तत्त दखिलं शम्भो तव राघनम 
कर चरण कृतं वाक्का यजम कर्मजंवा 
श्रवण नयन जम वा मानसं वा पराधम 
विहितं विहितं व सर्व मे तद क्षमस्व जय जय करुणाबधे 
श्री महादेव शम्भो 
ॐ नमः शिवाय ११ बार 
त्रिगुणम त्रिगुणाकारम त्रिनेत्र ञ्च त्रिआयुधम अघोर पाप संहारं एक बिल्वम शिवार्पणम 
प्रनवउ पवन कुमार खलवन पावक ज्ञान धन 
जासु ह्रदय आगार बसहिं राम शर छाप धार 
अतुलित बल धाम हेम शैलभ देह 
दनुज वन कृषानु ज्ञानी नाम ग्रन्यम 
सकल गुण निधान वानरानाम धीशं 
रघुपति प्रिय भक्तम वातजातं नमामि 
गोष्पदीकृत  वरिशम मशकी कृत राक्षसं 
रामायण महामाला रत्नम वनडे अहम नीलात्मजं 
अंजना नंदम वीरं जानकी शोक नाशनम 
कपीश मक्ष हन्तारं वंदे लंका भयंकरं 
उल्लंधय सिंधो सलिल सलिल 
ह्र्शोक वन्हि जनकात्मजया
आदाय तेनेवह ददाह लंकाँ 
नमामी तं प्रांजलि राजयेनेयम 
मनोजवं मारुत तुल्य वेगम जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम 
वातात्मजं वानर यूथ मुख्यम श्री राम दूतं शरणम प्रप धे 
आंजनेय मति पाटलाननम कांचनादि कमनीय विग्रहं 
पारीजात तरु मूल वात्सिनम भाव्यमि पवमानननदनं 
यत्र य त्र रघुनाथ कीर्तन  तत्र तत्र कृत मस्तकाञ्जलिम 
वाष्पवारी परिपूर्ण लोचनम मारुति नमत राक्षसान्तकं 
हनुमान अंजनी सुतं वार्यु सूत महाबली 
रामेष्ट फाल्गुन सरला पिंगाक्षी मित विक्रमः 
उदधिक्रमण श्चेव सीता दुःख विनाशनम 
लक्ष्मण प्राण दाताच दशग्रीव स दर्पहा 
---हनुमान चालीसा ---
श्री राम जय राम जय जय राम 
जय जय विघ्न हरण हनुमान ----१३ बार 
भाग ---२ ---आगे है 



1 टिप्पणी:

  1. बहुत अधिक अशुद्धियाँ हैं, कृपया सुधार करके पुन: अपलोड करें।
    ॥ जय श्रीराम ॥

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