मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

गुरुवार, 26 जनवरी 2017

Dharm & Darshan !-Ramcharitmanas Mukhya Ansh --4

गंगा सिंधु सरस्वतीच यमुना गोदावरी नर्मदा 
कावेरी शरयू ,महेन्द्र तनया चर्मण्वती वेदिका 
क्षिप्रा वैत्रवती महासुरनदि ख्याता जया गंडकी 
पूर्णा पुण्य जलै समुद्र संहिता कुर्वन्तु मम मंगलम 
नमामि गंगे ठाव पाद पंकज 
सुरा सुरे  वंदित दिव्य रूपम 
भुक्ति च मुक्तिच ददासि नित्यं भावानुसारेण सदा नराणाम 
अयोध्या मथुरा माया काशी   कांची अवंतिका 
पुरी द्वारावती चैव सप्तेता मोक्ष दायिका 
अहिल्या सीता तारा द्रौपदी मंदोदरी 
पञ्चक ना स्मरेन्नित्यं महापातक नाशनम 
अश्वत्थामा बलि  व्यासो  हनुमान्च विभीषणः 
कृपः परशुरामश्च सप्तेता चिरजीविनः 
सप्तेताति स्मरे नित्यं मार्कण्डेय यथाष्टकम 
जीवेत वर्ष शतं सागरें अपमृत्यु विविरजितः 
प्रह्लाद नारद पराशर पुण्डरीक 
व्यासाम्बरीश शुक शौनक भीष्म दालभ्यां 
रुख्मां गदार्जुन वशिष्ट विभीषणादिन 
पुण्य निमान परम भगवतां नमामि 
पुण्य श्लोको नलो राजा पुण्य श्लोको युधिष्ठिरः 
पुण्य  श्लोको च वैदेही पूण्य श्लोको जनार्दनः 
कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मूले सरस्वती 
कर मध्ये तु गोविन्दम प्रभात कर दर्शनम 
मूकं करोति वाचालं पंगुम लंघयते गिरीम 
यत्कृपा तमहं वनडे परमानन्द माधव 
नमो देव्ये महादेव्ये शिवाय सतत नमः 
नमः प्रकृ त्ये भद्राये नियतः प्रणताः स्म ताम 
गंगेच यमुनेचैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी 
जले अस्मिन सन्निधि कुरु 
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय 
लम्बोदराय सकलाय जगद्विताय 
नागाणनाय श्रुतियज्ञ विभूषिताय 
गौरी सुताय गणनाथ नमो नमस्ते 
नमस्ते सते ते जगत कारणाय 
नमस्ते चिते सर्व लोकाश्रयाय 
नमोअद्वेत तत्वाय मुक्ति प्रदाय 
नमो ब्रम्हणे व्यापिने शाश्वताय 
त्वमेकम शरण्यं त्वमेकं वरेण्यं 
त्वमेकं जगत्पालकम स्वप्रकाशम 
त्वमेकं जगत्कर्त्तर पातृ प्रहरतृ 
त्वमेकं परं निश्चलं निर्विकल्पम 
भयानाम भय भीषणम भीषणनाम 
गतिः प्राणिनां पावन पावना नाम महश्चे पदा 
नाम नियंतृ प्व मेकम 
परेशां परं  रक्षणम रक्षणानां 
वाल्मीकि सनकः सनन्दन तारुर्व्यासो वशिष्टो भृगु  
र्जा बाली र्ज मदग्नी कच्छ जनको गर्गे अङ्गिरा गौतमा 
मान्धाता ऋतुपर्ण वैन्य सगरा धन्यो दिलीपो नलः 
पुण्यो धर्मसुतो ययाति नहुषो कुर्वन्तु नो मंगलम 
मनो भी रामम नयनाभिरामं वचो अभिराम श्रवणा भिरामं 
सदाभिरामं सततां भिरामं ,वनदे  सदा दाशरथिच रामम 
१. रामरक्षास्तोत्र 
२.देवताओं की स्तुति 
३.भये प्रगट कृपाला 
४. श्री रामचंद्र कृपालु भजमन 
५ संक्षिप्त रामायण { अलग से पोस्ट की गई है }

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller (146) Apradh !!

When Nikita  saw Nirmal she became extremely happy .She hugged him and then just after one second kept Herself  away from him.She was missin...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!