ना बनाओ रिश्तों को घसीटा राम हलवाई की दुकान
इसे बनाओ स्वाद सुगंध से भरा गुलकंद वाला पान
जिसमे अपने पन का हो स्वाद,और मिठास
नहीं मांगता कोई आपसे दान,
नहीं कराना है किसी को आपसे कोई काम
बस थोड़ा सा प्यार और सम्मान
इतना ही आदान प्रदान
भर देगा जीवन में उत्साह ,
बढ़ा देगा जीवन ,
और कम कर देगा
कष्टों संघर्षों का निरन्तर सामना अविराम
गौर कीजिये "व्यक्तिगत"शब्द पर
यह है व्यक्ति के व्यक्ति से सम्बन्धों का संधान
इसमें दूजे किसी का भी नहीं है कोई काम
बस मैं और तुम ही हैं मुख्य पात्र,
जिन्हे अधिकार भी दिया है प्रकृति और समाज ने
करें विचार और व्यवहार ,
जो सम्हाले यह अनमोल धरोहर
क्योंकि इसका नहीं है कोई विकल्प
यह तो है आशीर्वाद और वरदान
नया खरीद कर लाता है इंसान
तो फेंक देता है पुराना सामान
लेकिन क्या खरीद सकता है नए रिश्ते
और मात पिता जवान
जाने कहाँ कहाँ से गुजरा और गुजर रहा
प्रत्येक का जीवन
जाने कितने कठोर सत्यों से हो रहा
सबका सामना सुबहो शाम
थोड़े से मीठे बोल ,थोड़ी सी मुस्कान
कर देती है सबका उत्साह वर्धन
शायद लाते हों सुखद परिणाम
मैं भी हूँ तुम सब में से एक
नहीं हूँ बड़ी गुणवान ज्ञान वान
बस इतना जानती हूँ
छोटा सा है जीवन ,थोड़े से हैं अपने ,
फिर तो चले जाना है
अकेले ही श्मशान
मैं कौन और तू कौन का
ऊपरवाले का गणित
वो जो है तेरा भी और मेरा भी भगवान् !
इसे बनाओ स्वाद सुगंध से भरा गुलकंद वाला पान
जिसमे अपने पन का हो स्वाद,और मिठास
नहीं मांगता कोई आपसे दान,
नहीं कराना है किसी को आपसे कोई काम
बस थोड़ा सा प्यार और सम्मान
इतना ही आदान प्रदान
भर देगा जीवन में उत्साह ,
बढ़ा देगा जीवन ,
और कम कर देगा
कष्टों संघर्षों का निरन्तर सामना अविराम
गौर कीजिये "व्यक्तिगत"शब्द पर
यह है व्यक्ति के व्यक्ति से सम्बन्धों का संधान
इसमें दूजे किसी का भी नहीं है कोई काम
बस मैं और तुम ही हैं मुख्य पात्र,
जिन्हे अधिकार भी दिया है प्रकृति और समाज ने
करें विचार और व्यवहार ,
जो सम्हाले यह अनमोल धरोहर
क्योंकि इसका नहीं है कोई विकल्प
यह तो है आशीर्वाद और वरदान
नया खरीद कर लाता है इंसान
तो फेंक देता है पुराना सामान
लेकिन क्या खरीद सकता है नए रिश्ते
और मात पिता जवान
जाने कहाँ कहाँ से गुजरा और गुजर रहा
प्रत्येक का जीवन
जाने कितने कठोर सत्यों से हो रहा
सबका सामना सुबहो शाम
थोड़े से मीठे बोल ,थोड़ी सी मुस्कान
कर देती है सबका उत्साह वर्धन
शायद लाते हों सुखद परिणाम
मैं भी हूँ तुम सब में से एक
नहीं हूँ बड़ी गुणवान ज्ञान वान
बस इतना जानती हूँ
छोटा सा है जीवन ,थोड़े से हैं अपने ,
फिर तो चले जाना है
अकेले ही श्मशान
मैं कौन और तू कौन का
ऊपरवाले का गणित
वो जो है तेरा भी और मेरा भी भगवान् !
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