लौट के बुद्धू घर को आये ----
जाने कितने पापड बेले ,
देश भर में दौड़ लगाए
हल्दी की गाँठ मिली चूहे को
खुद को पंसारी बतलाये
एक राज्य को डाल जेब में
खुद को शहंशाह समझाये
बड़े बड़े लच्छे वादों के,
चुनाव के पहले खूब लुभाये
पलट कभी देखे ना जनता को ,
परेशानी उसकी झुठलाए ,
लोकसभा चुनाव में जाकर
बनारस में स्याही पुतवाएं
पंजाब के सारे सपनो को
जनता ने ही धूल मिलाये
दिल्ली को सम्हाल लो बाबू
कहीं ये ज़मीन भी खिसक न जाये
चौबे जी ,गए थे छब्बे बनने,
दुबे बनकर लौट के आये !!
जाने कितने पापड बेले ,
देश भर में दौड़ लगाए
हल्दी की गाँठ मिली चूहे को
खुद को पंसारी बतलाये
एक राज्य को डाल जेब में
खुद को शहंशाह समझाये
बड़े बड़े लच्छे वादों के,
चुनाव के पहले खूब लुभाये
पलट कभी देखे ना जनता को ,
परेशानी उसकी झुठलाए ,
लोकसभा चुनाव में जाकर
बनारस में स्याही पुतवाएं
पंजाब के सारे सपनो को
जनता ने ही धूल मिलाये
दिल्ली को सम्हाल लो बाबू
कहीं ये ज़मीन भी खिसक न जाये
चौबे जी ,गए थे छब्बे बनने,
दुबे बनकर लौट के आये !!
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