इबादत -------
खुदाया बेनियाज़ा बेईमाला
कदीना बेमिसाला लाइजाला
आलीमा आनीमुलगे बहकीमा
खुदाबंदा जहाँ दारा रहीमा
खताबख्शा करीमा दस्तगीरा
पनाही आलमे पोज़िश पिजीरा
मैं हूँ नापाक और बाँदा गुनाहगार
सियानामा परीशां जिस्त किरदार
रहा मैं मुब्तला हिस्सों हवा से
मनाही में पआसिये रिआ से
हुआ मशहूर आलम में बदअहवाल
गुनाहों से मेरा अबतर हाल
न इक सायत भी तेरी बंदगी की
अब सब बर्बाद अपनी जिंदगी की
गुनाहों से अपने पाबगिल हूँ
शर्मिन्दा हूँ ,नादिम हूँ ,खिजिल हूँ
रही मुझको सदा नेकी से नफरत
बड़ी और जम्ब से है मुझको उल्फत
रहा मशगूल कारे रायगा में
हमेशा मुब्तिला सूदो जिया में
न सिज़दे में कभी सर को झुकाया
न पांवों को कभी राहे हक़ में चलाया
न हाथों से कभी की है सखावत
न कानो से सुनी है तेरी मदहत
हमेशा रात को गफलत में सोया
दिनों को पेट के धंधे में खोया
अगर जागा शबे एशिया में जागा
अगर भागा राहे नाहक में भागा
न कोशिश कोई तेरे अमल में
रहा उलझा हुआ तुले अमल में
हुआ गुमराह राहि हक़ को छोड़ा
पये ने कादी से मुंह मोड़ा
यह वाजिब नाम ए एमाल होगा
खुदाबख्श मेरा क्या हाल होगा
अजब गफलत के फंदे में फंसा हूँ
अजब दुनिया के दलदल में धंसा हूँ
पुरज बीमो अलीमो दरदमंदम
परेशां रोजगारम् मुश्त मंदम
खुदाया रहमकुम बरहाल जारम्
गुनह्गारम मगर उमीद्वारम्
गुनाहों पर मेरे एक सर कलम फेर
दुआ मेरी हो ये मक़बूल बिन देर
तेरा अहसान हम पर हर नफ़स है
गुनाहगारों का तू फरियादरस है
मेरे दिल को बनादे मखज ने नूर
रहे उसमे सियाही शिर्क की दूर
मेरा हो मादने अनवार सीना
न हो उसमे निशाने बुग्जमीना
अता कर मुझको तौफीक इबादत
जुदा मुझसे न कर जिनहार रहमत
हो आसा गैब से हर काम मेरा
तेरा फ़ज़लो करम हो यार मेरा
रहे दिल में सदा तेरी मोहब्बत
पीता रहूँ मैं जामे वहदत
सरूर सहमदी हो मुझको हांसिल
रहे फरखुंद ओ शादा मेरे दिल
रहूँ आज़ाद मैं रंजो अलम से
रहूँ फारिग सदा मैं दुनिया के गम से
न कर बहरे शिकम मोहताज दोना
दे आपके रब्बान नेमत से मुझेना
नहीं मैं तालिबे आली मैं दौलत
मिले मुझको फकत गंजे किनायत
मेरा अंजाम हो बा खैर खूबी
दुआ हरदम है ये मशरक़ी की
खुदाया बेनियाज़ा बेईमाला
कदीना बेमिसाला लाइजाला
आलीमा आनीमुलगे बहकीमा
खुदाबंदा जहाँ दारा रहीमा
खताबख्शा करीमा दस्तगीरा
पनाही आलमे पोज़िश पिजीरा
मैं हूँ नापाक और बाँदा गुनाहगार
सियानामा परीशां जिस्त किरदार
रहा मैं मुब्तला हिस्सों हवा से
मनाही में पआसिये रिआ से
हुआ मशहूर आलम में बदअहवाल
गुनाहों से मेरा अबतर हाल
न इक सायत भी तेरी बंदगी की
अब सब बर्बाद अपनी जिंदगी की
गुनाहों से अपने पाबगिल हूँ
शर्मिन्दा हूँ ,नादिम हूँ ,खिजिल हूँ
रही मुझको सदा नेकी से नफरत
बड़ी और जम्ब से है मुझको उल्फत
रहा मशगूल कारे रायगा में
हमेशा मुब्तिला सूदो जिया में
न सिज़दे में कभी सर को झुकाया
न पांवों को कभी राहे हक़ में चलाया
न हाथों से कभी की है सखावत
न कानो से सुनी है तेरी मदहत
हमेशा रात को गफलत में सोया
दिनों को पेट के धंधे में खोया
अगर जागा शबे एशिया में जागा
अगर भागा राहे नाहक में भागा
न कोशिश कोई तेरे अमल में
रहा उलझा हुआ तुले अमल में
हुआ गुमराह राहि हक़ को छोड़ा
पये ने कादी से मुंह मोड़ा
यह वाजिब नाम ए एमाल होगा
खुदाबख्श मेरा क्या हाल होगा
अजब गफलत के फंदे में फंसा हूँ
अजब दुनिया के दलदल में धंसा हूँ
पुरज बीमो अलीमो दरदमंदम
परेशां रोजगारम् मुश्त मंदम
खुदाया रहमकुम बरहाल जारम्
गुनह्गारम मगर उमीद्वारम्
गुनाहों पर मेरे एक सर कलम फेर
दुआ मेरी हो ये मक़बूल बिन देर
तेरा अहसान हम पर हर नफ़स है
गुनाहगारों का तू फरियादरस है
मेरे दिल को बनादे मखज ने नूर
रहे उसमे सियाही शिर्क की दूर
मेरा हो मादने अनवार सीना
न हो उसमे निशाने बुग्जमीना
अता कर मुझको तौफीक इबादत
जुदा मुझसे न कर जिनहार रहमत
हो आसा गैब से हर काम मेरा
तेरा फ़ज़लो करम हो यार मेरा
रहे दिल में सदा तेरी मोहब्बत
पीता रहूँ मैं जामे वहदत
सरूर सहमदी हो मुझको हांसिल
रहे फरखुंद ओ शादा मेरे दिल
रहूँ आज़ाद मैं रंजो अलम से
रहूँ फारिग सदा मैं दुनिया के गम से
न कर बहरे शिकम मोहताज दोना
दे आपके रब्बान नेमत से मुझेना
नहीं मैं तालिबे आली मैं दौलत
मिले मुझको फकत गंजे किनायत
मेरा अंजाम हो बा खैर खूबी
दुआ हरदम है ये मशरक़ी की
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें