प्रीति की स्मृति ------
बलात्कार की भेंट चढ़ गयी ,एक थी जीवन ज्योति
तेज़ाब की धार निगल गयी आज हमारी प्रीति
कब तक देनी होगी हम सबको ,ऐसी ही आहुति
क्या कभी नहीं जागेगा मानव ,और उसकी मनः स्थिति
लचर कानून भ्रष्ट रखवाले ,विकत बनी परिस्थिति
नारी सम्मान की हो चुकी है देखो कितनी अवनति
प्रगतिशील बन गयी है नारी केवल एक है भ्रान्ति
स्वार्थी अफसर स्वार्थी नेता स्वार्थी ही राजनीति
सच्चे अर्थों में बन पायेगी कब भारत की भारती !
बच्चे -----
कितने अच्छे कितने सच्चे होते हैं ये बच्चे
मन में कोई कपट ना छल ,निश्छल होते बच्चे
सपनो की दुनिया है इनकी sapano से ये खेलें
हम सब के भी सपने हैं ये देश के भी सपने
ईश्वर ने भेजा है इनको गुणों से सिंचित करके
इन्हे तराशें चमकाएं हम आओ सारे मिलके
इनमे ही तो छुपे हुए हैं महामानव कितने सारे
जन कल्याण का व्रत लेकर जो चमकेंगे बन सितारे !
बलात्कार की भेंट चढ़ गयी ,एक थी जीवन ज्योति
तेज़ाब की धार निगल गयी आज हमारी प्रीति
कब तक देनी होगी हम सबको ,ऐसी ही आहुति
क्या कभी नहीं जागेगा मानव ,और उसकी मनः स्थिति
लचर कानून भ्रष्ट रखवाले ,विकत बनी परिस्थिति
नारी सम्मान की हो चुकी है देखो कितनी अवनति
प्रगतिशील बन गयी है नारी केवल एक है भ्रान्ति
स्वार्थी अफसर स्वार्थी नेता स्वार्थी ही राजनीति
सच्चे अर्थों में बन पायेगी कब भारत की भारती !
बच्चे -----
कितने अच्छे कितने सच्चे होते हैं ये बच्चे
मन में कोई कपट ना छल ,निश्छल होते बच्चे
सपनो की दुनिया है इनकी sapano से ये खेलें
हम सब के भी सपने हैं ये देश के भी सपने
ईश्वर ने भेजा है इनको गुणों से सिंचित करके
इन्हे तराशें चमकाएं हम आओ सारे मिलके
इनमे ही तो छुपे हुए हैं महामानव कितने सारे
जन कल्याण का व्रत लेकर जो चमकेंगे बन सितारे !
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