मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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शुक्रवार, 29 नवंबर 2019

Sher Behatreen !! Nazm !! Gazal !! {25}

मयकशों मय की कमी बेशी पे नाहक रोष है
यह तो साकी जानता है ,किसको कितना होश है

देख कर चिलमन से ही घबरा के मूसा गिर पड़े
पर्दा उठ जाता तो बन जाता तमाशा और ही

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए

न कुछ था तो खुदा था ,कुछ न होता तो खुदा होता
डुबाया मुझको होने ने,न होता मैं तो क्या होता ---ग़ालिब

नसीहत बेअसर है ,गर न हो दर्द
यह गुर नासह को बतलाना पड़ेगा
बहुत यां ठोकरें खाईं हैं हमने
बस अब दुनिया को ठुकराना पड़ेगा ----हाली

न तीर कमां में है न सैय्याद कमी में
गोशे में कफ़स के मुझे आराम बहुत है ---ग़ालिब ---अर्थात मैं पिंजरे के एक कोने में पड़ा हूँ ,यहाँ मुझे बड़ा सुख है यहाँ न तो सैय्याद घात लगाए बैठा है ,न तीर कमान पर चढ़ा हुआ है निश्चिंतता है

तेरे बगैर मुकम्मल ये जिंदगी न हुई
ख़ुशी का नाम सुना था मगर ख़ुशी न हुई ----जिगर मुरादाबादी

दिल टुकड़े टुकड़े हो गया ,ज़ख़्मी है रूह भी
इतने तेज वक़्त के नश्तर कभी न थे ---मसउदा हयात

लोग कहते हैं जब ज़िक्रे वफ़ा होता है
वो भी लेते हैं सरे बज़्म मेरा नाम अभी ----बहार बर्नी

ख्वाहिश न हो रहबर की
हसरत न हो मंज़िल की
मिल जाए अगर उनका
इक नक़्शे कदम तनहा ---कामिल कुरैशी

बिजली का रक्स देखके काली घटाओं में
तस्बीर खींचता हूँ जुनु की फ़िज़ाओं में ---रिफअत सरोश

जिंदगी संगदिल सही लेकिन
आईना भी इसी चटान में है ---अमिर आगा कज़लबाश

वादा ज़रूर करते हैं आते नहीं कभी
फिर भी ये चाहते हैं शिकायत कभी न हो

ये हाथ किस लिए
अगर न लिख सकूँ जो चाहूँ मैं
कहूँ वही जो तू कहे
तो फिर जबान किस लिए ----हकिम मंज़ूर

आइन -ए - दिल में तेरी सूरत को बसा कर
तरसी हुई आँखों ने बड़ी चोट सही है ----सईद सोहरवर्दी

हँसते जो देखते हैं किसी को किसी से हम
मुंह देख देख रोते हैं किस बेकसी से हम ---मोमिन

मैं दिन हूँ मेरी ज़बीं पर खुशियों का सूरज है
दिए तो रात की पलकों पे झिलमिलाते हैं ---बशीर बदर

तुम ये रोज रोज अपने में कुढ़ते हो
और दूसरों से चिढ़ते हो
कभी बहुत खुश और कभी
बेहद उदास दिखते हो
अचानक कभी तुम्हारे दिल
की कमान तन जाती है
और कभी इस कदर शिथिल हो जाती है
कि अपने से ही ऊब जाते हो
इसमें तुम कुछ तो नहीं पाते हो
भाई मेरे अपने वजूद को कुछ घोलो
समाज की दरिया में
तब बोलो
अपने उद्दंड अहम को थोड़ा तराशो
उसकी नोकें कहीं तुम्हे ही न गड़ने लगें
इसलिए वजूद को अपने
अलग से नहीं सबके साथ अहसासों ---श्यामसुन्दर दुबे

वह चोट जो दिल पर खाई थी
उस चोट पर अब एहसास कहाँ
एक दाग सा बाकी है जिसको
हम याद बनाए बैठे हैं ---कातिल शिफ़ाई

मज़ा कहने का तब है जब आप कहें और हम समझे
आप कहें और आप ही समझे तो क्या समझे ---हिदायतुल्ला

कीमत फकत बशर की गिरी है बगरना आज
हर एक शै का दाम कहीं से कहीं गया ---जगन्नाथ आज़ाद

हर तमन्ना पे बेहिसी होती
हर मसर्रत बुझी बुझी होती
मौत होती न अगर दुनिया में
जिंदगी मौत बन गई होती ----नरेशkumar शाद

न शिकवा न शिकायत है किसी से
एक टूटे हुए दिल की फरियाद है तुम्ही से

बस एक ही हिचक है हाले दिल सुनाने में
के तेरे भी नाम का ज़िक्र आएगा इस फ़साने में

अजब गर्दिशे हालात है किस्सा क्या है ?
सर पे सूरज है मगर रात है किस्सा क्या है ---काशिफ इंदौरी

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