मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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शनिवार, 30 नवंबर 2019

Sher Behatreen !!

अपनी हालत का ,खुद एहसास नहीं है मुझको
मैंने औरों से सुना है कि परेशान हूँ मैं !
जवानी है और शर्म से झुक सकती हैं आँखे
मगर सीने का फितना रुक नहीं सकता उभरने से !
जो उठे तो सीना उभार के ,जो चले तो ठोकरें मार के
बस एक आप ही जवान हैं क्या ?क्या और कोई जवान है
या इलाही क्या क़यामत है वह जब लेते हैं अंगड़ाई
मेरे सीने में सब ज़ख्मों के टांकें टूट जाते हैं
एक सीने में न थी दो की जगह
दिल को खोया दर्द को पैदा किया !
प्रेम गली अति सांकरी ,जा में दो न समाय
जब मैं हूँ तो तू नाही ,जो तू है तो मैं नाही ----कबीर
जिस तरह आशिक़ न जाए को ए जाना छोड़ कर
हमसे कहीं जाया न जाय दिल्ली की गलियां छोड़ कर !
मुफलिसी अपनों को बेगाना बना देती है
कोई आता नही गिरती हुयी दीवार के पास !
जब तक जिए बिखरते रहे टूटते रहे
हम सांस सांस कर्ज की सूरत अदा हुए !
ताज पर ख़त्म हुयी प्यार की अज़मत रज़्मी
मक़बरे अब कभी शाहकार नहीं बन सकते !
न जाने दिल को क्या होता है
क्या क्या भूल जाता है
तुझे जब देखता है
धड़कना भूल जाता है !
हाथ तो बेशक मिलाएं हर सियासतदां से आप
लेकिन उसके बाद अपनी उंगलियां गिन लीजिये !
गुलशन में उसको रहने का हक़ नहीं
गुलशन की हिफाज़त को तैयार नहीं !
इन शोख हसीनो पे जो आती है जवानी
तलवार बना देती है ,एक एक अदा को !
आँख उसकी नशे में जब गुलाबी हो जाये
सूफी भी उसे देखे तो शराबी हो जाए !
न समझे जो मोहब्बत की जुबां को 
तो उसका सामना हिम्मत से करना
आज क्या सूझी मेरे मेहबूब को 
मुस्कुराकर एक झलक दिखला गया !
अपना काम है सिर्फ मोहब्बत 
बाकी उसका काम 
जब चाहे वो रूठे हमसे 
जब चाहे मान जाए
वहले इसमें एक अदा थी 
नाज़ था ,अंदाज़ था 
रूठना अब तेरी 
आदत में शामिल हो गया !
हम यादों की दहलीज़ पर बैठे हुए कब से 
इस दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं !
ज़ख्म हैं दिल में तेरी याद दिलाने के लिए 
मैं हूँ मिटने के लिए तू है मिटाने के लिए !
खुद मेरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गयी 
आइना तो साफ़ है तस्वीर धुंधली हो गयी !
उम्र गुजरी है मुझे खुद से मुलाकात किये 
आइना शक्ल भी अब भूल गया है मेरी !
यूँ चुराई आँखें उसने सादगी तो देखना 
बज़्म में गया ,मेरी जानिब इशारा कर दिया !
होता है राज इ इश्क ओ मोहब्बत उन्ही से फाश 
आँखें जुबां नहीं मगर बेजुबां भी नहीं !
आँख उसकी नशे में जब गुलाबी हो जाये
सूफी भी उसे देखे तो शराबी हो जाए !
न समझे जो मोहब्बत की जुबां को 
तो उसका सामना हिम्मत से करना
आज क्या सूझी मेरे मेहबूब को 
मुस्कुराकर एक झलक दिखला गया !
अपना काम है सिर्फ मोहब्बत 
बाकी उसका काम 
जब चाहे वो रूठे हमसे 
जब चाहे मान जाए
वहले इसमें एक अदा थी 
नाज़ था ,अंदाज़ था 
रूठना अब तेरी 
आदत में शामिल हो गया !
हम यादों की दहलीज़ पर बैठे हुए कब से 
इस दिल के सुलगने का सबब सोच रहे हैं !
ज़ख्म हैं दिल में तेरी याद दिलाने के लिए 
मैं हूँ मिटने के लिए तू है मिटाने के लिए !
खुद मेरी आँखों से ओझल मेरी हस्ती हो गयी 
आइना तो साफ़ है तस्वीर धुंधली हो गयी !
उम्र गुजरी है मुझे खुद से मुलाकात किये 
आइना शक्ल भी अब भूल गया है मेरी !
यूँ चुराई आँखें उसने सादगी तो देखना 
बज़्म में गया ,मेरी जानिब इशारा कर दिया !
होता है राज इ इश्क ओ मोहब्बत उन्ही से फाश 
आँखें जुबां नहीं मगर बेजुबां भी नहीं !
हमने सीने से लगाया दिल अपना न हो सका 
मुस्कुराकर तुमने देखा दिल तुम्हारा हो गया
सर शमा सा कटाईये पर दम न मारिये 
मंज़िल हज़ार दूर हो हिम्मत न हारिये
मुझमे और शमा में होती थी ये बातें शबे हिज़्र 
आज की रात बचेंगे तो सहर देखेंगे !
चार तिनके सही मगर सैयाद 
मेरी दुनिया थी ,आशियाने में !
है खबर गर्म उनके आने की 
आज घर में बोरिया न हुआ !
मेरे गम ने होश उनके खो दिए 
वो समझाते समझाते खुद रो दिए !
दुनिया के सितम याद न अपनी ही वफ़ा याद 
अब मुझको नहीं कुछ भी मोहब्बत के सिवा याद !
हम में ही न थी कोई बात ,याद न तुम कर सके 
तुमने हमें भूला दिया हम तुम्हे भूला न सके !
करता हूँ तेरे मिलने की दिन रात दुआएं 
वाबस्ता तेरी याद से याद ख़ुदा भी है !
याद एक ज़ख्म बन गयी वर्ना
भूल जाने का कुछ ख्याल तो था
भुला बैठे हो हमको आज लेकिन यह समझ लेना 
जिस वक़्त कल हम याद आएंगे !

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