कौशल्या बाई के घर के आगे पंक्तिबद्ध कुछ घर थे।मुझे जो लोग याद हैं उनमे जॉन भाटी का घर ,उसके छोटे भाई का नाम प्रेम भाटी था।उसके आगे का घर तारा बाई का था।वह नर्स थी तथा जच्चा बच्चा वार्ड की हेड थी,वह बड़ी सी लाल बिंदी लगाती थी।उसके बेटे का नाम तानसेन था।वह इर्द गिर्द के बेकार के लड़कों का लीडर था।और एक ही कक्षा में कई बार फेल होता था।जब हम मोडी राम जी के मकान में थे एक दिन उसने हमारा दरवाजा खटखटाया था।मैं घर में अकेली थी,महज दस वर्ष की और छठी में पढ़ती थी।उसने मुझसे पीने के लिए पानी माँगा और मैंने पानी पिला दिया था।शाम को मम्मी के आते ही लोंढे परिवार ने मम्मी को यह बात बताई और सख्त हिदायत दी की मुझे दरवाजा नहीं खोलना चाहिए था।तारा बाई के घर से ही यह गली पथरीले गोल गोल पत्थरों वाली ढलान लेती हुई सीतामऊ के तालाब पर जा पहुंचती है।
अब हम पोस्ट ऑफिस के ठीक सामने से गुजरती गली के दांये बांये देखते चलेंगे।बांये कोने पर मेरी प्रिय सहेली शकुंतला का घर था।वह मुझसे एक साल जूनियर थी।उसकी बड़ी बहन गीता जिसके दो बच्चे थे।।उसके दो भाई भी थे बड़ा बाल किशन,छोटा नवल।नवल किसी सरकारी दफ्तर में काम करता था।तथा बाल किशन गढ़ में नौकरी करता था।----क्रमशः -----
अब हम पोस्ट ऑफिस के ठीक सामने से गुजरती गली के दांये बांये देखते चलेंगे।बांये कोने पर मेरी प्रिय सहेली शकुंतला का घर था।वह मुझसे एक साल जूनियर थी।उसकी बड़ी बहन गीता जिसके दो बच्चे थे।।उसके दो भाई भी थे बड़ा बाल किशन,छोटा नवल।नवल किसी सरकारी दफ्तर में काम करता था।तथा बाल किशन गढ़ में नौकरी करता था।----क्रमशः -----
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