दहशत-------
सारा जहाँ ,दौर ए गिरफ्त,
छा गया है ,जूनून ए दहशत,
इंसानियत खोने लगी,
चारों ओर दिखती है वहशत,
ना ही कोई ,है निस्बत,
ना मोहब्बत है,कोई,
ना ही है ,कोई अदावत,
बेकसूरों पर दिखा रहे क्यों,
नाजायज सी अपनी ताकत,
मंजिलें गलत,रास्ते गलत,
तरीके भी सारे गलत,
क्यूँ खून बहा रहे मासूमो का,
लूट रहे हैं मुल्क की अस्मत,
जान की क्या है कीमत,
शुबहे में है खैर ओ खैरियत,
बेसबब,बेमकसद,
क्यूँ ये दहशत,
क्यूँ ये वहशत,
नामे मज़हब और इबादत,
क़त्ल ओ गारत,
मासूम शहादत,
हाकीम और हुक्मरानों की,
नाकाम,कवायद,
चाह कर भी क्या कर सकता है ,
इंसान एक अदद!
शब्द अर्थ --कवायद भागदौड़ ,अदद-मात्र
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