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शनिवार, 21 मई 2016

kaarsaaz !!

कारसाज़  !!

कायल हो गए तेरी कारीगरी के हम ,
कैसे बन दी इतनी बड़ी दुनिया ,इतने सारे लोग,
पेड़,पौधे,गुंचे,फूल जंगल,और बागान,
कीट,पतींगे,पंछी,जानवर और इंसान ,
सबसे नायाब और बेहतरीन तेरा ,
ज़िन्दगी और मौत का "परफेक्ट"इंतज़ाम ,
आने वाले का जाना तय ,
और शायद जाने वाले का लौट के आना ,
जितना आसान है जानना ,
आने और जाने के बीच का "दौरान"
उतना ही "पोशीदा"है
जाने और आने के बीच का
दौर-ए-गुमनाम
जाने यह सच भी है
या है ये फकत ,खाम खयाली - ए - इंसान
कभी कभी लौट के आने  के किस्से ,
जाने सच्चे हैं , या झूठी दास्तान,
लेकिन उम्मीद की लौ जगाते हैं
और बनाते हैं दिलों में,
तेरी तस्वीर,
तेरे लिए अदब-ओ-एहतराम ,
सबने बनाई है ,
अपने  अपने  हिसाब से तेरी तस्वीर ,
करता है सुबह-ओ-शाम ,
तू दिखाई नहीं देता ,सुनाई नहीं देता
महसूस होता है हर एक को ,
जो भी है उसकी रूहानी पायदान ,
जाने कैसे कर लेता है ,
बेचूक,इतनी बड़ी कायनात के,
पल पल छिन छिन और
हरेक की साँसों की गिनती ,
तू कारसाज़ है बड़ा ,
हम सबका रहीम या राम !!

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