शब्द
- अर्थ
बचपन
में कॉपी में लिखती थी शब्द-अर्थ
,
बड़ी
हुई तो सोचने लगी
शब्द - कृत्य
लोगों
को देखा ,उनमे मित्रों को , रिश्तेदारों को
दू
------------------र के रिश्तेदारों को
,
तथाकथित
समाज सेवकों को,
नेताओं
को अभिनेताओं को ,
लुभावने
शब्द बोलते
लेकिन
कृत्य केवल स्वयं के लिए
दिनचर्या
"स्व" आधारित
जीवन
सम्पूर्ण बस
"स्व"
स्व" स्व"
निस्वार्थ
भाव से किसी के
लिए
कुछ
करने वाला ,देने वाला तो दूर
उसकी
समस्या को सुनने वाला
भी मिला न कोई
तब
लगा कि,शब्दों का
नहीं है कोई "सरोकार"कृत्यों से
मैंने
बचपन में पढ़ी थी
कवियों
महाकवियों की कवितायें
कथाकारों
की कहानियां,लेखकों के लेख
पढ़ी
थी उनकी जीवनियां
जिनमे
छुपे थे उनके संघर्ष
जीवन
के कठोर अनुभवों का अर्क
मैं
भी लिखती हूँ कथा - कविता
लुभावने
शब्दों में पिरोकर
किन्तु
सहायता के लिए रहती
हूँ भरसक तत्पर
मेरे
पास भी है एक
छोटा सा मन
जो
द्रवित हो जाता है
देख सुन कर "दर्द" !!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें