मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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शनिवार, 27 अगस्त 2016

SHER - O - SHAYARI !!{32}

जरा जरा सी आन में वो जाने  जा बदल गया,
कभी तो बात काट दी, जबां बदल गया,
रहे हयात से हज़ारों रास्ते बदल गए,
किसे अब ये ख्याल है ,कोई कहाँ बदल गया !

किस सिम्त ले जाये देखें अब आबोदाना,
टूटा हुआ कफस है बर्बाद आशियाना,
ईमान नवाज़ चेहरा,ईमान शिकन अदाएं 
अंदाज़ मोमिनो के एमाल काफिराना,
मेहराबदार अबरू आँखें सुरूर आवर 
मस्जिद से दो कदम है गोया शराब खाना !

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिले,
 जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिले,
तू खुदा है न मेरा इश्क फरिश्तों जैसा,
दोनों इंसा हैं फिर क्यों हिज़ाबों में मिलें !

गिरा है शाख ए  गुल से कोई पत्ता,
किसी ने क्या मुझे आवाज़ दी है !

ईश्वर वो शक्ति है,जो बाग़ में आग लगा सकती है और आग में बाग़ !

रात भर जलती है शमा,तब कहीं दिन निकलता है,
एक धागे का साथ देने को,मोम का रोम रोम पिघलता है!
कहते हैं उम्रे रफ्ता ,कभी लौटती नहीं,
जामयकदे से ,मेरी जवानी उठा के ला!

हैरान से क्या मेरा खंडहर देख रहे हो,
जिसका जो भी पत्थर है वो ले जाये उठा कर !

लोग सुनते रहे दिमाग की बात,
हम चले दिल को रहनुमा करके!


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