इंसान की पहचान ----
क्या होती है इंसान की पहचान ?
पिता से संतान की ,या संतान से पिता की,
खानदान या कि उसका खानपान ?
उसकी धन सम्पदा ,उसका नाम ?
उसकी आन बान और शान ?
उसकी पढ़ाई उसका ज्ञान ?
समाज में दबदबा उसका ,और उसका सम्मान ,
उसका ओहदा उसका रसूख ,
या ज़रूरतमंद को दिया जाने वाला उसका दान,
किसी के कष्ट के प्रति सहानुभूति ?
या सच्ची संवेदना का भान ,
किसी के आत्मविश्वास को बनाये रखने का काम ,
मापदंड ये सारे हैं अलग अलग ,
ऊपरवाले का कौनसा है ,इससे हम अनजान,
क्या धनपति को स्वर्ग और गरीब को मिलता है नर्क?
या अलग होता है न्याय का संधान,
वक़्त रहते जो सम्हल जाए ,वही है बुद्धिमान ,
वर्ना तो "खाया पीया कुछ नहीं ,गिलास तोडा बारह आना"
और आ पहुंचा जीवन का अवसान ,
जिसने बिताई मौज मस्ती में अपनी सुबहो शाम
या फिर इस अनमोल मनुष्य जीवन को ,
समझा है प्रभु का वरदान !
क्या होती है इंसान की पहचान ?
पिता से संतान की ,या संतान से पिता की,
खानदान या कि उसका खानपान ?
उसकी धन सम्पदा ,उसका नाम ?
उसकी आन बान और शान ?
उसकी पढ़ाई उसका ज्ञान ?
समाज में दबदबा उसका ,और उसका सम्मान ,
उसका ओहदा उसका रसूख ,
या ज़रूरतमंद को दिया जाने वाला उसका दान,
किसी के कष्ट के प्रति सहानुभूति ?
या सच्ची संवेदना का भान ,
किसी के आत्मविश्वास को बनाये रखने का काम ,
मापदंड ये सारे हैं अलग अलग ,
ऊपरवाले का कौनसा है ,इससे हम अनजान,
क्या धनपति को स्वर्ग और गरीब को मिलता है नर्क?
या अलग होता है न्याय का संधान,
वक़्त रहते जो सम्हल जाए ,वही है बुद्धिमान ,
वर्ना तो "खाया पीया कुछ नहीं ,गिलास तोडा बारह आना"
और आ पहुंचा जीवन का अवसान ,
जिसने बिताई मौज मस्ती में अपनी सुबहो शाम
या फिर इस अनमोल मनुष्य जीवन को ,
समझा है प्रभु का वरदान !
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