वक़्फ़ा गुमनाम ----
जिसका मतलब है नामालूम अंतराल BREAK ,
कई बार हम पढ़ते सुनते हैं पुनर्जन्म के किस्से ,
पत्रकार लेते हैं इंटरव्यू ,खोद खोद कर पूछते हैं सवाल
"परामनोवैज्ञानिक " करते हैं जांच पड़ताल ,
कई बार पाया गया है ,बच्चे को गीता का कंठस्थ ज्ञान ,
उसके सीने अथवा पीठ पर चाकू या गोली का निशान,
कहता है "यह मेरा घर नहीं ""मुझे अपने घर जाना है "
मार्गदर्शक बन कर भीड़ की अगुआई करता हुआ ,
ठीक अपने घर पहुँचता है ,अपने माता पिता ,
अपनी पत्नी को लेता है पहचान
उसे होता है सबकुछ याद ,कहाँ छुपाया था उसने धन ,
और किसने और कैसे ली थी उसकी जान
लेकिन वो होता है पूरी तरह से अनजान ,
मौत के बाद और पुनर्जन्म के पहले के वक़्त से ,
कहाँ गया,कहाँ रहा ,कबतक रहा ,
वो "वक़्फ़ा" जो पूरी तरह है गुमनाम ,
क्योंकि यही तो कारीगरी है ,उस नायाब कारीगर की,
जिसने बनाई इतनी बड़ी दुनिया ,
और ध्यान में जिसके होते हैं ,
चींटी से लेकर इंसान ,
हमारे वेद उपनिषद स्मृति पुराण
और हमारी कल्पना आधारित ही है ,
उसका वजूद ,उसकी पहचान ,
सभी करते हैं इबादत ,पूजा ,
अलग अलग तरह से ,लेकर अलग अलग नाम ,
कोई नहीं जानता उसे ,ईश्वर अल्लाह या भगवान् !!
जिसका मतलब है नामालूम अंतराल BREAK ,
कई बार हम पढ़ते सुनते हैं पुनर्जन्म के किस्से ,
पत्रकार लेते हैं इंटरव्यू ,खोद खोद कर पूछते हैं सवाल
"परामनोवैज्ञानिक " करते हैं जांच पड़ताल ,
कई बार पाया गया है ,बच्चे को गीता का कंठस्थ ज्ञान ,
उसके सीने अथवा पीठ पर चाकू या गोली का निशान,
कहता है "यह मेरा घर नहीं ""मुझे अपने घर जाना है "
मार्गदर्शक बन कर भीड़ की अगुआई करता हुआ ,
ठीक अपने घर पहुँचता है ,अपने माता पिता ,
अपनी पत्नी को लेता है पहचान
उसे होता है सबकुछ याद ,कहाँ छुपाया था उसने धन ,
और किसने और कैसे ली थी उसकी जान
लेकिन वो होता है पूरी तरह से अनजान ,
मौत के बाद और पुनर्जन्म के पहले के वक़्त से ,
कहाँ गया,कहाँ रहा ,कबतक रहा ,
वो "वक़्फ़ा" जो पूरी तरह है गुमनाम ,
क्योंकि यही तो कारीगरी है ,उस नायाब कारीगर की,
जिसने बनाई इतनी बड़ी दुनिया ,
और ध्यान में जिसके होते हैं ,
चींटी से लेकर इंसान ,
हमारे वेद उपनिषद स्मृति पुराण
और हमारी कल्पना आधारित ही है ,
उसका वजूद ,उसकी पहचान ,
सभी करते हैं इबादत ,पूजा ,
अलग अलग तरह से ,लेकर अलग अलग नाम ,
कोई नहीं जानता उसे ,ईश्वर अल्लाह या भगवान् !!
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