बचपन की बारिश ——
भूल गए हम दोस्तों ,
बारिश के दिन,
बारिश की शामें
टिप टिप रिमझिम
बचपन की यादें
वो भीगना हमारा
मम्मी की मीठी सी डांट झिड़की ,
वो ठेले पे बिकती
गर्मागर्म नई मूंगफली
फ़टाफ़ट खरीदतें खाते
लोगों की भीड़
हमारा भी खड़ा होना
उन लोगों के बीच
कभी कभी अण्णा की
“मनुहार और मिनती”
के “ले आओ भुट्टे
बनाएंगे “कीस”
भुट्टे का थैला ,और थामे छतरी
हम दो बहनो की पूरे रास्ते
वो “बतकही””ठिठोली”
छोटे से भैया का वो राह तकना
कितनी मधुर सी थी
हमारी वो “तिकड़ी”
अब न बारिश आती है
क्योंकि हम बसे हैं “दिल्ली”
बस याद आती है “बचपन की यादें”
वो भीगते से दिन !!
बारिश के दिन,
बारिश की शामें
टिप टिप रिमझिम
बचपन की यादें
वो भीगना हमारा
मम्मी की मीठी सी डांट झिड़की ,
वो ठेले पे बिकती
गर्मागर्म नई मूंगफली
फ़टाफ़ट खरीदतें खाते
लोगों की भीड़
हमारा भी खड़ा होना
उन लोगों के बीच
कभी कभी अण्णा की
“मनुहार और मिनती”
के “ले आओ भुट्टे
बनाएंगे “कीस”
भुट्टे का थैला ,और थामे छतरी
हम दो बहनो की पूरे रास्ते
वो “बतकही””ठिठोली”
छोटे से भैया का वो राह तकना
कितनी मधुर सी थी
हमारी वो “तिकड़ी”
अब न बारिश आती है
क्योंकि हम बसे हैं “दिल्ली”
बस याद आती है “बचपन की यादें”
वो भीगते से दिन !!
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