एक सरकार जाएगी तो ,दूसरी आ जाएगी
आने से पहले उम्मीदों के हर दिल में दिए जलायेगी
हर दिन हर पल टूटती उम्मीदें ,कसक बन टीसेंगी
महंगाई की मारी जनता,क्या खायेगी ,क्या बच्चों को खिलायेगी
जस के तस ,भ्रष्टाचार के नाग से ,पहले सी ही “डसी” जायेगी
हर काम कराने,अफसर के मुंह में,घूस ठूंसती जायेगी ,
पांच साल तक ऐसी ही ,स्थितियां ,घिसटती जाएंगी
इस छुरी की धार के नीचे ,हर गर्दन एक दिन आएगी
बकरी सी मिमयाती जनता,कब तक खैर मनाएगी!
आने से पहले उम्मीदों के हर दिल में दिए जलायेगी
हर दिन हर पल टूटती उम्मीदें ,कसक बन टीसेंगी
महंगाई की मारी जनता,क्या खायेगी ,क्या बच्चों को खिलायेगी
जस के तस ,भ्रष्टाचार के नाग से ,पहले सी ही “डसी” जायेगी
हर काम कराने,अफसर के मुंह में,घूस ठूंसती जायेगी ,
पांच साल तक ऐसी ही ,स्थितियां ,घिसटती जाएंगी
इस छुरी की धार के नीचे ,हर गर्दन एक दिन आएगी
बकरी सी मिमयाती जनता,कब तक खैर मनाएगी!
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