CHAMACHAGIRI !
चंदू के चाचा ने चंदू की चाची को
चांदनी चौक में चाँदी के चम्मच से चटनी चटाई
बचपन में अनुप्रास अलंकार का यह उदाहरण
हम सभी ने पढ़ा है
जितनी मनभावनी ये पंक्तियाँ हैं
उतनी ही घिनौनी हैं
चाह,चोरी, चाकरी ,चालाकी ,चापलूसी ,चिरौरी
मिलकर सारे बनजाते हैं “चमचागिरी”
सरकारी या गैर सरकारी ,सभी संस्थानों में
इनकी जमात है बसती
जो भ्रष्टाचार के जालों को
मालिक ,अफसर नेताओं के तालों को
मजबूती से है बांधे रखती
ज्यों भिखमंगे को रोटी,ज्यों कुत्ते को है बोटी
वैसे ही लार टपकाते ,दुम हिलाते,
फिट करते रहते हैं गोटी
टांग खींचते ईमानदार की
पढ़े लिखे और बुद्धिमान की
कर्मठ के स्वाभिमान पर चलाते रहते हैं
कभी छुरी और कभी आरी
ये जोंक बनकर खून चूसते
सरकारी या गैर सरकारी !!
चांदनी चौक में चाँदी के चम्मच से चटनी चटाई
बचपन में अनुप्रास अलंकार का यह उदाहरण
हम सभी ने पढ़ा है
जितनी मनभावनी ये पंक्तियाँ हैं
उतनी ही घिनौनी हैं
चाह,चोरी, चाकरी ,चालाकी ,चापलूसी ,चिरौरी
मिलकर सारे बनजाते हैं “चमचागिरी”
सरकारी या गैर सरकारी ,सभी संस्थानों में
इनकी जमात है बसती
जो भ्रष्टाचार के जालों को
मालिक ,अफसर नेताओं के तालों को
मजबूती से है बांधे रखती
ज्यों भिखमंगे को रोटी,ज्यों कुत्ते को है बोटी
वैसे ही लार टपकाते ,दुम हिलाते,
फिट करते रहते हैं गोटी
टांग खींचते ईमानदार की
पढ़े लिखे और बुद्धिमान की
कर्मठ के स्वाभिमान पर चलाते रहते हैं
कभी छुरी और कभी आरी
ये जोंक बनकर खून चूसते
सरकारी या गैर सरकारी !!
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