डाँट से जिसकी लगता है डर,
प्यारी लगती है झिड़की
प्यार लगे है मधुर मधुर
प्यारी कितनी है मम्मी !
अनुशासित जीवन वो जीती
अनुशासन ही मूल मन्त्र
प्राचार्या पद पर रही सुशोभित
सादगी से भरी मम्मी !
मन भावन छवि है उसकी
यत्र तत्र सर्वत्र दिखी
अन्याय के आगे कभी ना झुकी
न्याय पूर्ण रही मम्मी!
ममता के तीन स्त्रोतों की जननी
स्नेह त्याग की ये मूरत
निरुपमा,अनुपमा और भरत,
पथ प्रदर्शक बनी सदा मम्मी !
लुटाया स्नेह आजीवन हमपर
क्षमा शील सदा रही मम्मी
दुःसाध्य रोगों से भिड़ी बेझिझक
कृशकाय हमारी ये मम्मी
हम तीनो बच्चों की बच्ची
बन गई आज हमारी मम्मी !!!!
प्यारी लगती है झिड़की
प्यार लगे है मधुर मधुर
प्यारी कितनी है मम्मी !
अनुशासित जीवन वो जीती
अनुशासन ही मूल मन्त्र
प्राचार्या पद पर रही सुशोभित
सादगी से भरी मम्मी !
मन भावन छवि है उसकी
यत्र तत्र सर्वत्र दिखी
अन्याय के आगे कभी ना झुकी
न्याय पूर्ण रही मम्मी!
ममता के तीन स्त्रोतों की जननी
स्नेह त्याग की ये मूरत
निरुपमा,अनुपमा और भरत,
पथ प्रदर्शक बनी सदा मम्मी !
लुटाया स्नेह आजीवन हमपर
क्षमा शील सदा रही मम्मी
दुःसाध्य रोगों से भिड़ी बेझिझक
कृशकाय हमारी ये मम्मी
हम तीनो बच्चों की बच्ची
बन गई आज हमारी मम्मी !!!!
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