जन्म दायिनी —
जो छोटी सी बच्ची होती,
जो बहना और बेटी होती
बहू बुआ, मामी और मौसी
मेरे जैसी,तुम्हारे जैसी ,
वो भी तो ,माँ भी है होती
एक गृहस्थी की धूरि
जिसके चारों ओर घूमती
हर परिवार की परिधि गति
किसको क्या लेना क्या देना
क्या आवश्यकता कब है किसकी
कोई छुपा नहीं सकता है
उससे अपनी कोई विपत्ती
हर कष्ट में रहे वो खड़ी
सिरहाने बनकर प्रहरी
फ़ैली उसकी झोली कहती
सारे कष्ट प्रभु मुझको देदो
जो छोटी सी बच्ची होती,
जो बहना और बेटी होती
बहू बुआ, मामी और मौसी
मेरे जैसी,तुम्हारे जैसी ,
वो भी तो ,माँ भी है होती
एक गृहस्थी की धूरि
जिसके चारों ओर घूमती
हर परिवार की परिधि गति
किसको क्या लेना क्या देना
क्या आवश्यकता कब है किसकी
कोई छुपा नहीं सकता है
उससे अपनी कोई विपत्ती
हर कष्ट में रहे वो खड़ी
सिरहाने बनकर प्रहरी
फ़ैली उसकी झोली कहती
सारे कष्ट प्रभु मुझको देदो
संतान को दो सुख सम्पत्ति
कितनी अद्भुत कितनी सौम्या
हो तुम कितनी प्रेम मयी
प्रभु ने भेजा बना प्रतिनिधि
आशीषों की तुम हो झड़ी
तुम्हे अगाध प्रेम हैं करते
हम सब जो तुम्हारी संतती
तुम्हारे चरणो में स्वर्ग है सही
सत्य वचन जिसने भी कही
तुम्हारा क़र्ज़ कभी ना उतरे
प्रेम तुम्हारा अमूल्य निधि
चाहें सदा साथ रहो तुम
कभी विलग ना करे नियति !!
कितनी अद्भुत कितनी सौम्या
हो तुम कितनी प्रेम मयी
प्रभु ने भेजा बना प्रतिनिधि
आशीषों की तुम हो झड़ी
तुम्हे अगाध प्रेम हैं करते
हम सब जो तुम्हारी संतती
तुम्हारे चरणो में स्वर्ग है सही
सत्य वचन जिसने भी कही
तुम्हारा क़र्ज़ कभी ना उतरे
प्रेम तुम्हारा अमूल्य निधि
चाहें सदा साथ रहो तुम
कभी विलग ना करे नियति !!
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