Maggi—–
32 बरस तक खाते रहे मैगी
हम हमारे बच्चे
बेटे बहुएं ,बेटियां दामाद
नाती और नाती ने ,पोते पोतियां
रसास्वादन लेते रहे ,चटख़ारों के साथ
विज्ञापन भी लुभाते रहेजो बरसों से प्रसारित होते रहे
लोगों ने लिखी ,अपने अपने मैगी अनुभवों की कहानियां
मैगी पर जिनकी छपी तस्वीरें
किसी फिल्म कलाकार ने दी आवाज़
तो कुछ ने दिया अभिनय
मैगी पहुंची घर घर ,
अमीर के भी ,गरीब के भी
शहरी के भी,देहाती के भी
बड़े से बड़ा पैक भी बिक हाथों हाथ
और मैगी छोटू भी
32 बरसों में कई बार बनी सरकार
जाहिर है ,खाद्य मंत्रालय ,खाद्य मंत्री ,और अफसर
सभी की भी दर्ज थी मौजूदगी
लेकिन होश अब जाके आया है
रातों रात मैगी इतनी बदनाम हुई
जितनी “मुन्नी” भी ना हुई
क्या असलियत है वही
जो दिखाई जा रही
या है किसी बात की पर्दादारी
और हर तमाशे की तरह
एक दिन यह भी निकलेगा टांय टांय फिस्स
और टीवी पर होगी एक छोटी सी खबर प्रसारित
कि कुछ पैकेट्स में थी खराबी
दुरुस्त हैं सारे बाकी
तमाशों का देश है मेरा
मैं और मेरे सारे भाई बंधु
बस तमाशबीन हैं ,नीरे तमाशबीन !
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