मरघट —-
ज़िन्दगी का आखरी पड़ाव है मरघट
यह आखरी ठहराव है मरघट
मैं ,तुम, कोई नहीं सोचना चाहता
जिसके बारे में ,वो ठाँव हैं मरघट
ज़िन्दगी की कड़ी धूप से गुज़रकर
जहाँ मिलती है ,प्रभु की कृपा
वो छाँव है मरघट
करोड़पति ,अरबपति ,खरबपति
सबको पहुंचना है इक दिन जहाँ
किसी का नहीं हो सकता
जिससे बचाव ,वो है यही “मरघट”
दूसरे की “अर्थी””जलती चिता””मौत की खबर”
“असाध्य रोग”देख कर ,सुन कर
“मै” सोचता हूँ
ज़िन्दगी का आखरी पड़ाव है मरघट
यह आखरी ठहराव है मरघट
मैं ,तुम, कोई नहीं सोचना चाहता
जिसके बारे में ,वो ठाँव हैं मरघट
ज़िन्दगी की कड़ी धूप से गुज़रकर
जहाँ मिलती है ,प्रभु की कृपा
वो छाँव है मरघट
करोड़पति ,अरबपति ,खरबपति
सबको पहुंचना है इक दिन जहाँ
किसी का नहीं हो सकता
जिससे बचाव ,वो है यही “मरघट”
दूसरे की “अर्थी””जलती चिता””मौत की खबर”
“असाध्य रोग”देख कर ,सुन कर
“मै” सोचता हूँ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें