नए ज़ख्म ——
दिल में टीस उभरती है,
एक फांस चुभती है,
तुम्हे भूलने की हर कोशिश
हर बार नाकाम हो जाती है
याद बार बार आ जाते हैं
तुम्हारे ज़ख्म
वो चुभते रहे कल भी ,आज भी
तुम्हारा जाना ख़ामोशी से
मेरे दिल पर बना गया
एक नया,ताज़ा गहरा ज़ख्म,
लगता है काश !वक़्त को एक बार
सिर्फ एक बार ! पीछे ले जा पाती,
सिर्फ तुम्हारे “नहीं होने”से “होने”तक
तुम्हारे गले लगाती एक बार,
और रो लेती ,तुम्हारे गले लग कर
ज़ार ज़ार !
एक फांस चुभती है,
तुम्हे भूलने की हर कोशिश
हर बार नाकाम हो जाती है
याद बार बार आ जाते हैं
तुम्हारे ज़ख्म
वो चुभते रहे कल भी ,आज भी
तुम्हारा जाना ख़ामोशी से
मेरे दिल पर बना गया
एक नया,ताज़ा गहरा ज़ख्म,
लगता है काश !वक़्त को एक बार
सिर्फ एक बार ! पीछे ले जा पाती,
सिर्फ तुम्हारे “नहीं होने”से “होने”तक
तुम्हारे गले लगाती एक बार,
और रो लेती ,तुम्हारे गले लग कर
ज़ार ज़ार !
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