दिल्ली में दिन रात बरसता ,
बारह में से दस महीनो में ,
अलग अलग हर बार बरसता
कभी आग बरसाता लगता
सभी प्राणियों को झुलसाता
सारे देश में जल थल एक
दिल्ली में बस भाप छोड़ता
उमस भरी गर्मी के तोहफे
घमौरियां खुजली दे जाता
लगता है कि एक ही मौसम
दिल्ली को हरदम दुलराता,
खाना पीना,घूमना फिरना ,
इस मौसम में कुछ भी ना भाता
जैसे तैसे गुज़रते हैं दिन
रात पसीने में नहलाता ,
जाने क्या दुश्मनी है हमसे
राशन से पानी,धूप अनंता
जाने किन पापियों के पाप की
निर्दोषों को सजा सुनाता
टीवी फिल्मों में बारिश देखें
आँखों को मन को ललचाता
जब खिड़की से बाहर झांके
रौद्र रूप का दर्शन होता !!!!!!
बारह में से दस महीनो में ,
अलग अलग हर बार बरसता
कभी आग बरसाता लगता
सभी प्राणियों को झुलसाता
सारे देश में जल थल एक
दिल्ली में बस भाप छोड़ता
उमस भरी गर्मी के तोहफे
घमौरियां खुजली दे जाता
लगता है कि एक ही मौसम
दिल्ली को हरदम दुलराता,
खाना पीना,घूमना फिरना ,
इस मौसम में कुछ भी ना भाता
जैसे तैसे गुज़रते हैं दिन
रात पसीने में नहलाता ,
जाने क्या दुश्मनी है हमसे
राशन से पानी,धूप अनंता
जाने किन पापियों के पाप की
निर्दोषों को सजा सुनाता
टीवी फिल्मों में बारिश देखें
आँखों को मन को ललचाता
जब खिड़की से बाहर झांके
रौद्र रूप का दर्शन होता !!!!!!
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