त्योहार —
बचपन से ही जुड़े होते हैं सारे त्यौहार
हर किसी के मन में
होली ,दशहरा दिवाली,रक्षाबंधन,
दिवाली की खरीदारी ,नए कपड़ों की महक
नए जूतों की चमक ,और पटाखों की धमक
पकवान बनाती माँ,दीदी
पूरे बाड़े में फैलती पकवानो की
आत्मा को तृप्त करती खुशबू
मेहमानो की आवाजाही
और बड़े हो जाने पर,उम्र और धन से,
चाहे कितने महंगे ब्रांडेड जूते कपडे हों
उस ख़ुशी की बराबरी नहीं करते
जो पापा मम्मी ने किसी साधारण सी दुकान से
अपने बजट के हिसाब से दिलाये थे
उनमे प्यार था ,संस्कार था
जीवन सराबोर था !!
बचपन से ही जुड़े होते हैं सारे त्यौहार
हर किसी के मन में
होली ,दशहरा दिवाली,रक्षाबंधन,
दिवाली की खरीदारी ,नए कपड़ों की महक
नए जूतों की चमक ,और पटाखों की धमक
पकवान बनाती माँ,दीदी
पूरे बाड़े में फैलती पकवानो की
आत्मा को तृप्त करती खुशबू
मेहमानो की आवाजाही
और बड़े हो जाने पर,उम्र और धन से,
चाहे कितने महंगे ब्रांडेड जूते कपडे हों
उस ख़ुशी की बराबरी नहीं करते
जो पापा मम्मी ने किसी साधारण सी दुकान से
अपने बजट के हिसाब से दिलाये थे
उनमे प्यार था ,संस्कार था
जीवन सराबोर था !!
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