प्रीती की स्मृति——–
बलात्कार की भेंट चढ़ गयी,
एक थी जीवन ज्योति,
तेज़ाब की धार निगल गयी,
आज हमारी प्रीती,
कब तक देनी होगी हम सबको,
ऐसी ही आहूति,
क्या कभी नहीं जागेगा मानव,
और उसकी मनस्थिति ,
लचर कानून,भ्रष्ट रखवाले,
विकट बनी परिस्थिति ,
नारी सम्मान की हो चुकी है,
देखो कितनी अवनति,
प्रगतिशील बन गयी है नारी,
केवल एक है भ्रान्ति,
स्वार्थी अफसर ,स्वार्थी नेता,
स्वार्थी ही राजनीति,
सच्चे अर्थों में बन पाएगी,
कब भारत की भारती !!
एक थी जीवन ज्योति,
तेज़ाब की धार निगल गयी,
आज हमारी प्रीती,
कब तक देनी होगी हम सबको,
ऐसी ही आहूति,
क्या कभी नहीं जागेगा मानव,
और उसकी मनस्थिति ,
लचर कानून,भ्रष्ट रखवाले,
विकट बनी परिस्थिति ,
नारी सम्मान की हो चुकी है,
देखो कितनी अवनति,
प्रगतिशील बन गयी है नारी,
केवल एक है भ्रान्ति,
स्वार्थी अफसर ,स्वार्थी नेता,
स्वार्थी ही राजनीति,
सच्चे अर्थों में बन पाएगी,
कब भारत की भारती !!
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