जय जय सुरनायक जनसुखदायक प्रनतपाल भगवंता
जो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधु सुता प्रिय कनता
---लन सुर धरनी अद्भुत करनी भरम न जानई कोई
----सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई
जय जय अविनाशी सब घाट वासी व्यापक परमानंदा
अविमत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी विगतमोहमुनी वृन्दा
निसि बासर ध्यावहि गुन गन गावहि जयति सचिदानंदा
जेहि सृष्टि उपाई त्रिविध बनाई संग सहाय न दूजा
सो करउ अघारी चिन्ता हमारी जानि अ भक्ति न पूजा
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन विपति वरुधा
मन वच क्रम बानि छाँड़ि सयानी सरन सकल सुरतूथा
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहु कोई नहि जाना
भाव वारिधि मंदर सब विधि सुन्दर मुनि मंदिर सुख कुंता
मुनि सिद्धि सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा !!{Some words lost }
जो द्विज हितकारी जय असुरारी सिंधु सुता प्रिय कनता
---लन सुर धरनी अद्भुत करनी भरम न जानई कोई
----सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई
जय जय अविनाशी सब घाट वासी व्यापक परमानंदा
अविमत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी विगतमोहमुनी वृन्दा
निसि बासर ध्यावहि गुन गन गावहि जयति सचिदानंदा
जेहि सृष्टि उपाई त्रिविध बनाई संग सहाय न दूजा
सो करउ अघारी चिन्ता हमारी जानि अ भक्ति न पूजा
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन विपति वरुधा
मन वच क्रम बानि छाँड़ि सयानी सरन सकल सुरतूथा
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहु कोई नहि जाना
भाव वारिधि मंदर सब विधि सुन्दर मुनि मंदिर सुख कुंता
मुनि सिद्धि सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा !!{Some words lost }
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