श्री गणेशाय नमः व्यास उवाच ----
जपाकुसुम संकाशम काश्यपेयं महाद्युतिम
तमौधी सर्व पापघ्नम प्रणतोस्मि दीवाकरम
दधिशंख तुषाराभं म क्षीरोदार्णय संभवम
नमामि शाशिनम सोमम शंभोर्मुकुट भूषणम
धरनि गर्भ संभूतं विद्युत् कांति समप्रभ कुमारम
शक्ति हस्तम च मंगलम प्रणमाम्यहम
प्रियंगु कलिका श्यामं रूपेणा प्रतिमम बुधम
सौम्य सौम्य गुणोवे तं तं बुधम प्रणमाम्यहम
देवनांच ऋषिणांच गुरुम कांचन सन्निभम
बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि ब्रहस्पतिं
हिमकुन्द मृणालाभम दैत्यनाम परमं गुरुम
सर्व श्रा स्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम
नीलांजन समाभासम रविपुत्रम यमाग्रजम
छाया मार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्वरम
अर्ध काय महावीर्य चन्द्रादित्य विमर्दनम
सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहु प्रणमाम्यहम
पलाश पुष्प संकाशम तारका गृह मस्तकं रौद्र
रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम
इति व्यास मुखोगदीतम यः यह पठेत सु समाहितः
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांति भविष्यति
नर नारी नृपा णा म च भवेत् दुःस्वप्न नाशनम
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्य पुष्टि वर्धनम
गृह नाक्षत्रजः पीडास्तक राग्नी समुद्भवा ताः सर्वाः
प्रश्मम यान्ति व्यासो ब्रूते न संशयः
इति श्री वेद व्यास विरचित श्री नवग्रह स्त्रोत्र सम्पूर्णम
७,११,१०,४,१९,१६,२३,१८,१७
ॐ एम क्लीम श्रीम १०
जपाकुसुम संकाशम काश्यपेयं महाद्युतिम
तमौधी सर्व पापघ्नम प्रणतोस्मि दीवाकरम
दधिशंख तुषाराभं म क्षीरोदार्णय संभवम
नमामि शाशिनम सोमम शंभोर्मुकुट भूषणम
धरनि गर्भ संभूतं विद्युत् कांति समप्रभ कुमारम
शक्ति हस्तम च मंगलम प्रणमाम्यहम
प्रियंगु कलिका श्यामं रूपेणा प्रतिमम बुधम
सौम्य सौम्य गुणोवे तं तं बुधम प्रणमाम्यहम
देवनांच ऋषिणांच गुरुम कांचन सन्निभम
बुद्धि भूतं त्रिलोकेशं तं नमामि ब्रहस्पतिं
हिमकुन्द मृणालाभम दैत्यनाम परमं गुरुम
सर्व श्रा स्त्र प्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम
नीलांजन समाभासम रविपुत्रम यमाग्रजम
छाया मार्तण्ड संभूतं तं नमामि शनैश्वरम
अर्ध काय महावीर्य चन्द्रादित्य विमर्दनम
सिंहिका गर्भ संभूतं तं राहु प्रणमाम्यहम
पलाश पुष्प संकाशम तारका गृह मस्तकं रौद्र
रौद्रात्मकं घोरं तं केतुं प्रणमाम्यहम
इति व्यास मुखोगदीतम यः यह पठेत सु समाहितः
दिवा वा यदि वा रात्रौ विघ्न शांति भविष्यति
नर नारी नृपा णा म च भवेत् दुःस्वप्न नाशनम
ऐश्वर्यमतुलं तेषां आरोग्य पुष्टि वर्धनम
गृह नाक्षत्रजः पीडास्तक राग्नी समुद्भवा ताः सर्वाः
प्रश्मम यान्ति व्यासो ब्रूते न संशयः
इति श्री वेद व्यास विरचित श्री नवग्रह स्त्रोत्र सम्पूर्णम
७,११,१०,४,१९,१६,२३,१८,१७
ॐ एम क्लीम श्रीम १०
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