पाप
का घड़ा ---
बचपन
में जब भी दादी
नानी कहानी सुनाती थी
कहानी
के अंत में बुरे का अंत बुरा
ही होता था
"एक
दिन पाप का घड़ा ज़रूर
फूटता है "
वो
कहा करती थी ,"आप का घड़ा
"भी फूट गया
Whatsapp पर
कल एक message पढ़ा था
"चंदे
से शुरू की थी पार्टी
,आज करोड़ों में खेल रहा हूँ
दोस्तों
मैं अरविन्द केजरीवाल बोल रहा हूँ "
दिल्ली
के सत्ताधीश बनने के बाद
जब
तब हम अपने mobile पर
सुना करते थे
इस
दोहे की "दूसरी पंक्ति"
मैं
दंग हूँ ,War against
Corruption"
के
Slogan तले जिस party का जन्म हुआ
हो
उसका
भी वैसा ही रूप ? जैसे
67 वर्षों से लगभग
सभी
parties का बचपन से देखते आ
रहे थे
लेकिन मुझे
झकझोर दिया ,मेरे अपने अनुभवों ने ,
"मध्यम
वर्ग"Middle Class देश का बुद्धिजीवी वर्ग
बरसों से
बेज़ार था,राजनितिक ढर्रे से ,
vote देने
की औपचारिकता का निर्वाह कर रहा था ,बेमतलब सा ,
परिवर्तन
का आशा या अपेक्षा से "निराश"सा
"आप"ने
पहचाना ,अण्णा के आंदोलन का पहनाया बाना
बस इसे ही
करना है "Target"
इसमें
maximum है Average Income वाले
ये
Corrupt नहीं हैं ,Corruption के शिकार बनते रहते हैं गाहे बगाहे
दिल में आग
है दिमाग में सवाल हैं ,परिवर्तन की धूमिल सी आस है
बस इसी को
हवा देनी है ,सुलगाना है इसे
और अण्णा
आंदोलन ने इसे धधका दिया पूरी तरह ,
रामलीला मैदान
का वो मंज़र ,भुलाया नहीं जाता
लगता था
1947 में पहुँच गए थे ,
हर एक ,युवा,अधेड़
,या वृद्ध
खुद को क्रांतिकारी
समझ रहा
कुमार के
गीत ,"स्वराज"का प्रलोभन "लोकपाल"का विश्लेषण
सभी मंत्रमुग्ध
थे ,"स्वराज" को खींच लाना चाहते थे,
फिर
अण्णा गायब हो गए परिदृश्य
से
Party का
जन्म हुआ
हमने
दिल को समझाया ,
राजनीति
में उतरे बगैर ,कैसे होगा राजनीति का उद्धार
और
पूरी दिल्ली में "झाड़ू पे ठोको "के
वाक्य ने
"आप"को 70 में से 67 seats देकर जिताया
लेकिन
इन दो वर्षों में
,दिल्ली कूड़े का ढेर बन
गई
चुनाव
से पहले दिखावे के लिए शुरू
किये गए
नाले
सीवर Road के काम वहीँ
ठहर गए
जल
भराव में वर्षा ने और "भर"डाली
इससे
मच्छर पनपे ,मलेरिया,डेंगू चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ा
अस्पतालों
में मरीजों की तादाद बढ़ी
वहां
मरीजों को beds share करने पड़े
जमीन
ने पानी सोखना बंद कर दिया ,
लोगों
के लाखों रुपयों के मकानों में
दरारें पड़ गईं
,फर्श
धंस गए ,
तुमने
कभी झांक कर भी नहीं
देखा
तुम्हारे
पानी फ्री बिजली आधी के वक्तव्यों ने
कान पका दिए
जगह
जगह लगे तुम्हारी तस्वीरों के hoardings
हमारे
मुंह चिढ़ाते रहे
फिर
से आग धधकने लगी
लोगों के दिलों में
जिसका
अंजाम तुमने देखा पंजाब गोवा और फिर
दिल्ली
के एम सी डी
चुनावों में
और
अब बागियों ने भंडाफोड़
किया
यानि
पाप का घड़ा फूटा
जनता
जनार्दन होती है
प्रसन्न
होती है तो राज
कराती है
नाराज
होती है तो धूल
चटाती है
कोई
नाम लेवा भी नहीं बचता
जल्दी
ही लोग कहेंगे
"एक
थी "आप"
एक
थे "आप"!
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