मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

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बुधवार, 10 मई 2017

Paap Ka Ghada !!

पाप का घड़ा ---

बचपन में जब भी दादी नानी कहानी सुनाती थी
कहानी के अंत में बुरे का अंत बुरा ही होता था
"एक दिन पाप का घड़ा ज़रूर फूटता है "
वो कहा करती थी ,"आप का घड़ा "भी फूट गया
Whatsapp पर कल एक message पढ़ा था
"चंदे से शुरू की थी पार्टी ,आज करोड़ों में खेल रहा हूँ
दोस्तों मैं अरविन्द केजरीवाल बोल रहा हूँ "
दिल्ली के सत्ताधीश बनने के बाद
जब तब हम अपने mobile पर सुना करते थे
इस दोहे की "दूसरी पंक्ति"
मैं दंग हूँ ,War against Corruption"
के Slogan तले जिस party का जन्म हुआ हो
उसका भी वैसा ही रूप ? जैसे 67 वर्षों से लगभग
सभी parties का बचपन से देखते रहे थे
लेकिन मुझे झकझोर दिया ,मेरे अपने अनुभवों ने ,
"मध्यम वर्ग"Middle Class देश का बुद्धिजीवी वर्ग
बरसों से बेज़ार था,राजनितिक ढर्रे से ,
vote देने की औपचारिकता का निर्वाह कर रहा था ,बेमतलब सा ,
परिवर्तन का आशा या अपेक्षा से "निराश"सा
"आप"ने पहचाना ,अण्णा के आंदोलन का पहनाया बाना
बस इसे ही करना है "Target"
इसमें maximum है Average Income वाले
ये Corrupt नहीं हैं ,Corruption के शिकार बनते रहते हैं गाहे बगाहे
दिल में आग है दिमाग में सवाल हैं ,परिवर्तन की धूमिल सी आस है
बस इसी को हवा देनी है ,सुलगाना है इसे
और अण्णा आंदोलन ने इसे धधका दिया पूरी तरह ,
रामलीला मैदान का वो मंज़र ,भुलाया नहीं जाता
लगता था 1947 में पहुँच गए थे ,
हर एक ,युवा,अधेड़ ,या वृद्ध
खुद को क्रांतिकारी समझ रहा
कुमार के गीत ,"स्वराज"का प्रलोभन "लोकपाल"का विश्लेषण
सभी मंत्रमुग्ध थे ,"स्वराज" को खींच लाना चाहते थे,
फिर अण्णा गायब हो गए परिदृश्य से
Party का जन्म हुआ
हमने दिल को समझाया ,
राजनीति में उतरे बगैर ,कैसे होगा राजनीति का उद्धार
और पूरी दिल्ली में "झाड़ू पे ठोको "के वाक्य ने
"आप"को 70 में से 67 seats देकर जिताया
लेकिन इन दो वर्षों में ,दिल्ली कूड़े का ढेर बन गई
चुनाव से पहले दिखावे के लिए शुरू किये गए
नाले सीवर Road के काम वहीँ ठहर गए
जल भराव में वर्षा ने और "भर"डाली
इससे मच्छर पनपे ,मलेरिया,डेंगू चिकनगुनिया का प्रकोप बढ़ा
अस्पतालों में मरीजों की तादाद बढ़ी
वहां मरीजों को beds share करने पड़े
जमीन ने पानी सोखना बंद कर दिया ,
लोगों के लाखों रुपयों के मकानों में दरारें पड़ गईं
,फर्श धंस गए ,
तुमने कभी झांक कर भी नहीं देखा
तुम्हारे पानी फ्री बिजली आधी के वक्तव्यों ने कान पका दिए
जगह जगह लगे तुम्हारी तस्वीरों के hoardings

हमारे मुंह चिढ़ाते रहे
फिर से आग धधकने लगी लोगों के दिलों में
जिसका अंजाम तुमने देखा पंजाब गोवा और फिर
दिल्ली के एम सी डी चुनावों में
और अब बागियों ने  भंडाफोड़ किया
यानि पाप का घड़ा फूटा

जनता जनार्दन होती है
प्रसन्न होती है तो राज कराती है
नाराज होती है तो धूल चटाती है
कोई नाम लेवा भी नहीं बचता
जल्दी ही लोग कहेंगे
"एक थी "आप"
एक थे "आप"!


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