वादों के तुमने खड़े कर दिए
देखो कितने बड़े हिमालय
भाव विभोर हो गए हम सभी
किया न अपनी बुद्धि का व्यय
सुनते रहे तुम्हे सारे जान
होकर मगन ,होकर तन्मय
सब और सुनायी देती थी
बस जय जय कार ,तुम्हारी ही जय
हर्षित हुआ देश में जन जन
जब सुना तुम्हारी हुई विजय
प्रतीक्षा हुई आरम्भ हमारी
परीक्षा का आरम्भ तुम्हारा समय
एक वर्ष हो गया पूर्ण अब
जनता को करना है निश्चय
सोचा था नौकरियां बढ़ेंगी
व्यस्त होगा रोजगार कार्यालय
व्यवस्थित होंगे सब विद्यालय
भ्रष्टाचार मुक्त सब कार्यालय
हर्षित होगा कृषक वर्ग
उदार बनेगा कृषि मंत्रालय
किन्तु व्यक्त हुआ है केवल
भूमि अधिग्रहण का आशय
जीवन से मुक्त होते कृषक
संख्या का होता उनका क्षय
मरीज होंगे समस्या मुक्त
जब कार्य करेंगे रुग्णालय
विकसित देशों की परिकल्पना से
कभी न बन पाएंगे शौचालय !!!!!!!
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