भभकती दिल्ली !!
भभक भभक ,भभक भभक ,
दिल्ली भभके है
सारे देश के बरसे पानी की,
भाप उड़ाए है
अस बस ,अस बस ,सारे जन हैं ,
चैन ना पाए हैं
कहीं हाई टाइड,कहीं जलथल ,
कहीं मौसम सुहाने हैं
जाने क्यों श्रापित है दिल्ली
किस पाप को भोगे है
हर बरस की यही कहानी
कभी ना बदले है
मौसम विभाग भी हर दिन दिल में
आस जगाये है
सुबह शाम पलटी खा जाए
मन को तरसाये है
दिल्ली तक आते हुए बादल भी
राह को बदले है
लंगोटी पकड़ कर भागते भूत से
ये हमको नज़र आये हैं ,
हे प्रभु हे दया निधान ,क्यों नाराज़ हो दिल्ली से ,
अब तो बरसाओ रे ,
थोड़ी सी ठंडक हम भी पाएं
तेरे गुण गायें रे !!
भभक भभक ,भभक भभक ,
दिल्ली भभके है
सारे देश के बरसे पानी की,
भाप उड़ाए है
अस बस ,अस बस ,सारे जन हैं ,
चैन ना पाए हैं
कहीं हाई टाइड,कहीं जलथल ,
कहीं मौसम सुहाने हैं
जाने क्यों श्रापित है दिल्ली
किस पाप को भोगे है
हर बरस की यही कहानी
कभी ना बदले है
मौसम विभाग भी हर दिन दिल में
आस जगाये है
सुबह शाम पलटी खा जाए
मन को तरसाये है
दिल्ली तक आते हुए बादल भी
राह को बदले है
लंगोटी पकड़ कर भागते भूत से
ये हमको नज़र आये हैं ,
हे प्रभु हे दया निधान ,क्यों नाराज़ हो दिल्ली से ,
अब तो बरसाओ रे ,
थोड़ी सी ठंडक हम भी पाएं
तेरे गुण गायें रे !!
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