" *जो तूं ब्राम्हण , ब्राह्मणी का जाया !*
*आन बाट काहे नहीं आया* !! ”
– संत कबीर
(अर्थ- अपने आप को ब्राह्मण होने पर गर्व करने वाले ज़रा यह तो बताओ
की जो तुम अपने आप की महान कहते हो..! तो फिर तुम किसी अन्य रास्ते से या अन्य तरीके से पैदा क्यों नहीं हुआ ? जिस रास्ते से हम सब पैदा हुए हैं, तुम भी उसी रास्ते से ही क्यों पैदा हुए ?)
आज कोई भी ऐसी बात बोलने की ‘हिम्मत’ भी नहीं करता
और कबीर तो सदियों पहले कह गए..!
हमे गर्व हैं की हम उस महान संत के अनुयाई हैं ।
ऐसे महान क्रांतिकारी संत को कोटी कोटि नमन !!!
“ *लाडू लावन लापसी ,*
*पूजा चढ़े अपार*
*पूजी पुजारी ले गया,*
*मूरत के मुह छार !!* ”
– संत कबीर
(अर्थ – आप जो भगवान् के नाम पर मंदिरों में दूध, दही, मख्कन,
घी, तेल, सोना, चाँदी, हीरे, मोती, कपडे, वेज़- नॉनवेज़ , दारू-शारू, भाँग, मेकअप सामान, चिल्लर, चेक, केश इत्यादि माल जो चढाते हो, क्या वह भगवान् तक जा रहा है क्या ?? आपका यह माल कितना % भगवान् तक जाता है ? ओर कितना % बीच में ही गोल हो रहा है ? या फिर आपके भगवान तक आपके चड़ाए गए माल का कुछ भी नही पहुँचता ! अगर कुछ भी नही पहुँच रहा तो फिर घोटाला कहाॅ हो रहा है ? ओर घोटाला कौन कर रहा है ? सदियों पहले दुनिया के इस सबसे बड़े घोटाले पर कबीर की नज़र पड़ी | कबीर ने बताया आप का यह सारा माल पुजारी ले जाता है ,और भगवान् को कुछ नहीं मिलता, इसलिए मंदिरों में दान करना बंद करो )
” *पाथर पूजे हरी मिले,*
*तो मै पूजू पहाड़ !*
*घर की चक्की कोई न पूजे,*
*जाको पीस खाए संसार !!* ”
– संत कबीर
” *मुंड मुड़या हरि मिलें ,सब कोई लेई मुड़ाय |*
*बार -बार के मुड़ते ,भेंड़ा न बैकुण्ठ जाय ||* ”
– संत कबीर
” *माटी का एक नाग बनाके ,*
*पुजे लोग लुगाया !*
*जिंदा नाग जब घर मे निकले,*
*ले लाठी धमकाया !!* ”
– संत कबीर
” *जिंदा बाप कोई न पुजे, मरे बाद पुजवाये* !
*मुठ्ठी भर चावल लेके, कौवे को बाप बनाय !!*
– संत कबीर
” *हमने देखा एक अजूबा ,मुर्दा रोटी खाए* ,
*समझाने से समझत नहीं ,लात पड़े चिल्लाये !!”*
– संत कबीर
” *कांकर पाथर जोरि के ,मस्जिद लई चुनाय* |
*ता उपर मुल्ला बांग दे, क्या बहरा हुआ खुदाय ||* ”
– संत कबीर
” *हिन्दू कहें मोहि राम पियारा* ,
*तुर्क कहें रहमाना ,*
*आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मुए,*
*मरम न कोउ जाना ।* ”
– संत कबीर
(अर्थ : कबीर कहते हैं कि हिन्दू राम के भक्त हैं और
तुर्क (मुस्लिम) को रहमान प्यारा है. इसी बात पर दोनों लड़-लड़ कर मौत के मुंह में जा पहुंचे, तब भी दोनों में से कोई सत्य को न जान पाया ।)
जाति_पर_कबीर जी _की_चोट
” *जाति ना पूछो साधू की, पूछ लीजिये ज्ञान* !
*मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान* !!
– संत कबीर
” *काहे को कीजै पांडे छूत विचार।*
*छूत ही ते उपजा सब संसार ।।*
*हमरे कैसे लोहू तुम्हारे कैसे दूध।*
*तुम कैसे बाह्मन पांडे, हम कैसे सूद(शुद्र)।।* ”
– संत कबीर
”कबीरा कुंआ एक हैं,
पानी भरैं अनेक ।
बर्तन में ही भेद है,
पानी सबमें एक ॥”
– कबीर
”एक क्ष ,एकै मल मुतर,
एक चाम ,एक गुदा ।
एक जोती से सब उतपना,
कौन बामन कौन शूद ”
– कबीर
कबीर_की_सबको_सीख बाकि_समझ_अपनी_अपनी
”जैसे तिल में तेल है,
ज्यों चकमक में आग I
तेरा साईं तुझमें है ,
तू जाग सके तो जाग II ”
– कबीर
मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे ,
मैं तो तेरे पास में।
ना मैं तीरथ में, ना मैं मुरत में,
ना एकांत निवास में ।
ना मंदिर में , ना मस्जिद में,
ना काबे , ना कैलाश में।।
ना मैं जप में, ना मैं तप में,
ना बरत ना उपवास में ।।।
ना मैं क्रिया करम में,
ना मैं जोग सन्यास में।।
खोजी हो तो तुरंत मिल जाऊ,
इक पल की तलाश में ।।
कहत कबीर सुनो भई साधू,
मैं तो तेरे पास में बन्दे…
मैं तो तेरे पास में...
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मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts
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शनिवार, 24 जून 2017
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