पांच साल
----
कल
देख रही थी फिल्म शोले
,
ठाकुर
कह रहा था " जाओ जाकर कह दो
अपने
सरदार से, रामगढ़ वालों ने पागल कुत्तों
के आगे
टुकड़े डालना बंद कर दिया है
"
और
फिर मेरे दिल में ख्याल आया,
अपने
देश की जनता में
आयी जागृति का
अधिकतर
व्यक्ति हो गए हैं
जागरूक
जानते
हैं अपने अधिकार और अपने वोट
की कीमत
अब
पांच साल के राजपाट की
राजनीति खत्म हुई
पैर
छू छू कर बना
दिया था नेताओं को
भगवान
अब
तलवार की धार पे
चलना होगा पांच साल
की
अब तुम पर होगी हर
वोटर की नज़र
तुम्हारा
क्या होगा केजरीवाल,
अब
ना गलेगी सिर्फ बातों से तुम्हारी दाल
तुम्हे
दिखाई ही नहीं पड़ते
अधूरे काम
सीवर
के नालों में बिना आउटलेट का बहता पानी
पीने
के पानी में अक्सर घुलता मिलता ये नाले का
पानी
जलभराव
से खोखली होती घरों की नीव
दरकती
दीवारें और गिरती छत
तुम
तो मस्त हो मदमस्त हो
और व्यस्त भी हो
की
तुम्हारी ही पार्टी के
लोग उठाते हैं बवाल
तुम
से पूछते हैं तरह तरह के सवाल
छील
देते हैं तुम्हारी खाल ,
फिर
भी जाने तुम इतने चुप क्यों हो गए हो
पहले
तो बड़े आरोप प्रत्यारोप किया करते थे
दिन
रात बजाया करते थे गाल
खैर
,वो तुम्हारा मसला है तुम्हारा जंजाल
अपुन तो
बस येईच बोलता है बावा काम
कर ,चारों ओर नज़र घुमा
कामचोरों
की कर पकड़ धकड़
एकदम
टिंच काम होना मांगता
जितना
वोट मिला है भरभराट
उतना
ही जनता को दिखे तेरा
कमाल
वक़्त मिला
है तुम्हे पांच साल
वरना
अगले चुनाव में "आप" ---एक पार्टी कंगाल
!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें