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शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

Suraj Chachu !! { 9 }

सूरज चाचू -- 9

इतना प्यार हमें क्यों करते हो 
प्यारे सूरज चाचू 
दिल्ली में ही प्यार बरसाते
ग्यारह महीने चाचू 
वर्षा  से क्या दुश्मनी तुम्हारी 
बादल से कैसी रकाबत 
दोनों को तुरत भगा देते हो 
क्रोधित होकर चाचू 
सारा देश सराबोर हो रहा 
बाढ़ से परेशान हो रहा 
दिल्ली भट्ठी बनी हुई क्यों  
समझ ना आये चाचू 
उन 14 राज्यों में क्या 
ड्यूटी नहीं तुम्हारी 
बाढ़ पीड़ितों को भी थोड़ी 
राहत पहुंचाते चाचू 
क्या देश की राजधानी है इससे 
ड्यूटी कड़क तुम्हारी 
बड़े कड़क तरीके से तुम 
ड्यूटी भुगताते हो 
साथ तुम्हारे हम दिल्ली वाले 
कष्ट भोगते रहते 
घर में ही हम दुबके रहते 
घूम ना पाते चाचू 
सुबह सात से शाम सात तक 
खुद चमकते और हमको भी चमकाते हो 
काश ज़रा सी राहत देते तो 
हम खुश हो जाते चाचू 
करोड़ बरस तक रहो सृष्टि के 
बन कर "नायक"चाचू 
लेकिन सबको बराबरी से 
प्यार बाँट दो चाचू !!

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