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सोमवार, 23 अक्टूबर 2017

RANGMANCH !!

रंगमंच --

एक  है संसार ,संगिनी है छाया 
पुत्र है मोह ,और पुत्री है माया ,
आमूल चूल रूप से है सम्पूर्ण छल 
लेश मात्र भी सत्य नहीं है इसमें 
किराये की है ये काया ,
श्वांसों से चुकाते रहते हैं हम इसका किराया 
लीज़ पेपर पर मिला है ये कॉन्ट्रैक्ट 
निश्चित अवधि की तय है समय सीमा 
इस किराये की काया की टूट फूट
रख रखाव की जिम्मेदारी काफी कुछ 
निर्भर हम पर, और बाकी सब कुछ है 
पिछले लिए हुए कर्ज़ों का हिसाब 
जिसे हम समझे हुए हैं एक जीवन एक आयुष्य 
शायद वो हो नियंता की दृष्टि का 
केवल एक स्वप्न एक स्वप्न भंग
जिसप्रकार जागते ही विस्मृत हो जाता है स्वप्न 
उसी प्रकार मृत्यु के पटाक्षेप के उपरान्त 
विस्मृत हो जाता है एक जन्म,उसके क्रियाकल्प 
उसके सम्बन्ध ,संपत्ति ,निर्धनता अथवा धन संपन्न
कर्म आधारित है हमारा जन्म 
सत्कर्म अथवा दुष्कर्म,सभी जमा होते रहते हैं हमारे खाते में 
कदाचित यही आधार बनता है,कैसा होगा  
हमारा अगला जन्म,हमारे सुख दुःख ऐश्वर्य ,
सम्बन्ध,एवं फिर से एक नया संसार ,नया आरम्भ !,

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