मेरे बारे में---Nirupama Sinha { M,A.{Psychology}B.Ed.,Very fond of writing and sharing my thoughts

मेरी फ़ोटो
I love writing,and want people to read me ! I some times share good posts for readers.

गुरुवार, 16 नवंबर 2017

Dharm & Darshan !! LESSON FOR US !!



जब आप किसी के लिए भी सहजता से उपलब्ध हो जाते हैं तो वह आपको बहुत हल्के में लेने लगता है साथ ही अपमानित करना भी शुरू कर देता है ।
आपके आत्म सम्मान से खेलने में उसका अहंकार पुष्ट होता है ।
और जब आप उस पहली नकारात्मक घटना को चुपचाप यह सोच कर सह लेते हैं कि कहीं परिस्थिति न बिगड़ जाये , हंगामा न हो जाय या एक ही बार की तो बात है ।
तो यह समझ लीजिये कि जिस घटना के आरम्भ में ही इतनी तकलीफ है आपका उसको सहन करके उसे दोबारा घटने के लिए आमंत्रित करना कितना खतरनाक होगा और फिर हर बार सहते जाना कितना नारकीय होगा ।
पहले दिन तो हल्का विरोध ही करना पड़ेगा किंतु यदि आप सहते गये तो आगे जब भी विरोध करेंगे उन घटनाओं का तो वह पहले घटी घटना की बात कह कर कि पहले तो तकलीफ नहीं हुयी थी अब ऐसा क्या हो गया ...उलाहना देगा ।
ऐसे परिस्थितियाँ आपके लिये पहले दिन की अपेक्षा ज्यादा जटिल होती जाएँगी....... प्रतिपक्ष भी पहले दिन के विरोध को आपकी हिम्मत के खाते में दर्ज़ करेगा किंतु यदि आपने एक या अधिक बार गलत सह लिया तो फ़िर आपके प्रतिकार को दु:साहस समझ दबाने की चेष्टा करेगा ।

#ध्यान रखें जिस चीज को आप एक बार होने देंगे वह फिर बार - बार होगी और पहले से ज्यादा होगी ।
और देखिये न कि जब सामने वाले को आपकी तकलीफ का , आपके दर्द का जरा भी एहसास नहीं हो रहा उसे केवल अपना ही सुख दिखाई दे रहा है तो वह कैसे आपका अपना हुआ ...?
जिसे आपका दुःख समझना चाहिए या बाँटना चाहिए वही आपको दुःख पहुंचा रहा है तो वह कैसे अपना हुआ ?
संसार की औपचारिकता पूरी कर देने भर से कोई किसी का अपना नही बन पाता है ।

जो भी बात , घटना या क्रिया आपके आत्मसम्मान को , आपकी आत्मा को ठेस पहुंचाती है उसे पहली ही बार में जोरदार विरोध के साथ खत्म कर दें , उसे सहन करने के लिए खुद को समझायें नहीं ।
भले ही आपका कोई कितना ही प्रिय या निकट का क्यों न हो ।

यदि आपके साथ ज्यादती करके सामने वाले को ख़ुशी मिलती और आप उसकी ख़ुशी के लिए अपने आत्मा की हत्या करने को तैयार हो जाते हैं तो समझ लीजिये कि आप अपने जीवन का सबसे ग़लत और गन्दा फैसला किये हैं ।
हाँ , इसके सुधार के लिए जब आप दृढ संकल्पित होकर खड़े हो जायेंगे तो सामने वाला थोड़ा विरोध या ना नुकुर के बाद अपने आपको बदलने के लिए तैयार हो जायेगा ।

जिस दिन आप अपने आत्म सम्मान को महत्व देना शुरू कर देंगे उस दिन से सामने वाला भी आपकी कद्र करना शुरू कर देगा ।

यदि आत्मसम्मान को बेचकर या अपनी आत्मा को घायल करके संसार का कुछ भी प्राप्त हो रहा हो वह व्यर्थ ही है ।
थोड़ी सी तो जिंदगी है , उसको भी इतनी नारकीयता में जीने का क्या अर्थ है और मृत्यु तो सब को आनी है इसलिए डरकर भी जीने का क्या अर्थ है ।
इससे ज्यादा आपका भला कोई और क्या बिगाड़ सकता है ।

जो आत्मसम्मान के साथ जीते हैं वही "जीवित" हैं , आत्मग्लानि में जीने वाले तो "जिन्दा लाश" हैं ।
इसलिए यदि आप ऐसी परिस्थितियों में जी रहे हैं तो आज से ही हिम्मत कीजिये और उससे उबरने का प्रयास कीजिये ।
यदि आप विरोध नहीं दर्शा सकते हैं तो उससे मौन और उदासीन हो जाएँ ।
आपके अलावा आपके जीवन में किसी और का बिल्कुल भी अधिकार नहीं हैं बस जब आप अपने जीवन को महत्व न देने वाले दीन - हीन और सामने वाले पर आर्थिक या भावनात्मक रूप से निर्भर दिखाई देते हैं तो कोई भी आपको अपने अधिकार में लेने का प्रयास करता है ।
आप जैसा जीवन चाहें , वैसा जिएँ क्योंकि परमेश्वर ने या कुदरत ने किसी के साथ अन्याय नहीं किया है , किसी को कम या ज्यादा नहीं दिया है ।
इस जगत और जगह के संसाधनों में आपका भी उतना ही अधिकार है जितना की अन्य सबका ।
बस आप अपनी सामर्थ्य पर संदेह करना और दूसरे की दया में , सुरक्षा में पलने की मनःस्थिति से बाहर आ जाएँ ।

बस एक बार अपने संदेहों और कल्पित भय से उबर जाएँ और देखेंगे कि सब अच्छा होने लगेगा ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Dharavahik crime thriller ( 177) Apradh !!

Nirmal got the tickets by an agent , it was common those days. He then came and sat near Nikita. Soon the train arrived and both of them rea...

Grandma Stories Detective Dora},Dharm & Darshan,Today's Tip !!